जौनपुर : आइए जाने श्री कृष्णा जन कल्याण समिति की शुरुआत का राज
जौनपुर । श्री कृष्णा जन कल्याण समिति की शुरुआत आगरा शहर के एक नवयुवक द्वारा हुई ।
जिसकी पढ़ाई लिखाई आगरा जिले से हुई।
हाईस्कूल तक की पढ़ाई उन्होंने जोहन्स मेरी इंटर कॉलेज तथा हाई स्कूल के बाद इंटरमीडिएट की पढ़ाई दयालबाग स्थित आर ई आई इंटरमीडिएट कॉलेज से की।
जिसके बाद ग्रैड एशन की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से पूर्ण की।
उस नवयुवक का नाम है अरुण शर्मा।जिन्होंने अपने अथक मेहनत और प्रयासों से समाज के सामने अपनी खुद की छवि बनाई है।
अरुण शर्मा बताते है कि जब उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की उसके बाद उन्होंने एक विद्यालय को जॉइन किया। जहाँ उन्होंने दो माह अध्यापन कार्य किया। इस दो माह के दौरान विद्यालय का नया सत्र प्रारम्भ हो चुका था। जैसा आप सभी जानते है वर्तमान समय मे सत्र प्रारम्भ होते ही एडमिशन के लिए प्राइवेट विद्यालय अपनी कमर कस लेते है। और एड्मिसन के लिए जी जान से मैदान में उतर जाते है। और तरह तरह के प्रलोभन देकर बच्चों के माता- पिता को एडमिशन के लिए राजी करते है। उसी दौरान अरुण शर्मा एक दिन विद्यालय स्टाफ के साथ एडमिशन के लिए जाते है रास्ते मे उन्हें एक बच्चा मिलता है। जिसने कपड़े भी फटे हुए से पहने होते है जब बच्चा स्कूल का नाम सुनता है वह भागता हुआ। हमारे पास आता है और बोलता है मुझे भी पड़ना है, और वह हमें अपने घर ले जाता है। हमारी उसकी मां से बात शुरू हो जाती है वह एडमिशन करवाने के लिए राजी हो जाती है। लेकिन जैसे ही हम उनको अपने विद्यालय की फीस बताते है ।वह रोने लगती है और एडमिशन करवाने से मना कर देती है।
वह बताती है की इसका पिता सारे पैसे जुए ओर दारू में उड़ा देता है।
और वह किसी तरह खुद मेहनत करके अपना ओर अपने बच्चे का पेट भरती है।अरुण शर्मा द्वारा यह वायदा किया गया कि उनकी फीस हम कम करवा देंगे और जब उन्होंने विद्यालय पहुंच कर विद्यालय प्रबंधक को इस बारे में बताया तो उनका जवाब था हम यहाँ पैसा कमाने बैठे है समाज सेवा करना हमारा काम नही है।
इस बात से दुखी होकर अरुण शर्मा द्वारा तत्काल विद्यालय को छोड़ दिया गया।
उसके कुछ दिनों बाद उनका एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी में हो गया तो वह आगरा छोड़कर दिल्ली चले गए।
दिल्ली में 1 वर्ष नियमित पढ़ाई करने के साथ उन्होंने जॉब भी की।उसके बाद उन्होंने प्राइवेट पढ़ाई करते हुए वापस आगरा आ गए और उन्होंने गरीब बच्चो को पढ़ाने का विचार सोच कर आगरा आये और निःशुल्क शिक्षा केन्द्र की स्थापना की। जिसमे उनका साथ उनके परिवार द्वारा दिया गया और उनके पिता श्री सोवरन शर्मा द्वारा हर पल उनका साथ दिया।दिल्ली में 1 वर्ष के दौरान उन्हें वही बच्चा याद आता जो कहता में पढ़ना चाहता हु। ओर उन्होंने अपनी पढ़ाई प्राइवेट करते हुए। आगरा वापस आये अपने परिवार से बात की और परिवार ने भी उनका साथ दिया।।
केंद्र के प्रथम शुरुआत दिन में मात्र 5 बच्चे केंद्र में पढ़ने के लिए आये।
धीरे धीरे बच्चो की संख्या बढ़ी और अब वर्तमान समय मे 326 बच्चे निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे है।अरुण शर्मा को उनके सामाजिक कार्यो को देखते हुए बहुत से अवार्ड से सम्मनित भी किया जा चुका है।
जिनमे जिला, स्टेट लेवल आदि अवार्ड शामिल है।संस्था द्वारा वर्तमान समय मे आगरा, मथुरा, मेरठ, एटा, फ़िरोज़ाबाद में निशुल्क शिक्षा केन्द्र स्थापित है।
बच्चों के मानसिक विकास के लिये समय समय पर अनेक प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।संस्था के बच्चे अपने प्रतिभा से अन्य राज्यो के लोगो का भी दिल जीत चुके है और गोल्ड मैडल, नकद राशि भी प्राप्त कर चुके है।
संस्था द्वारा किसी भी प्रकार की कोई भी राशि बचचो से नही ली जाती है।।
अरुण शर्मा अपनी सफलता का आदर्श अपने माता- पिता को मानते है उनको मानना है अगर उनके परिवार ने साथ नही दिया होता तो आज ऐसा कुछ नही होता।।
उनकी कोई छबि नही होती।
कोरोना महामारी के दौरान भी संस्था द्वारा 218 परिवारों को निःशुल्क राशन वितरित किया गया। और कई जिलों में करुणा के प्रति लड़ने वाले योद्धाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करने का काम किया।