गोरखपुर ब्यूरो (राघवेन्द्र दास)।बेबाक लेखनी के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामगोपाल विशारद का गुरुवार की रात 2.30 अचानक हृदय गति रूकने से निधन हो गया।
रामगोपाल विशारद पत्रकार की वह शायरी हमेशा याद आती रहेंगी जो हमेशा हम लोगों के बीच बोला करते थे।
*क्या बात है लोग गाते गाते चिल्लाने लगे हैं, जिनको अंगुलियां पकड़कर चलना सिखाया मैंने वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगे हैं।*
68 वर्ष की उम्र में उन्होंने कैम्पियरगंज स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली।वे सांस रोग से पीड़ित थे। निधन की खबर मिलते ही सुबह से रामगोपाल विशारद के आवास पर पत्रकारिता जगत के साथ ही राजनेताओं,अधिवक्ताओं, व्यापारियों के पहुंचने का सिलसिला लगा रहा। सभी ने शोक संतप्त परिवार को अपनी सांत्वना दी। शुक्रवार को राप्ती नदी के करमैनीघाट पर अंतिम संस्कार किया गया। बेटे राहुल मोदनवाल ने चिता को मुखाग्नि दी।
रामगोपाल विशारद का जन्म 1954 को चौमुखा गांव के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1984 में हिन्दी दैनिक से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक स्वतंत्र चेतना समाचार पत्र में दशकों तक लेखनी से न्याय दिलाया। करीब दो दशक तक दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र में समाचार लेखन का कार्य किया।
क्षेत्र के बुद्धिजीवियों, व्यवसाइयों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं ने शोक व्यक्त किया। वहीं स्थानीय पत्रकारों ने शोक संवेदना प्रकट करते हुए दो मिनट मौन रहकर आत्मा के शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया।
इस मौके पर ब्यूरो महाराजगंज मृत्युंजय कुमार मिश्रा, ब्यूरो गोरखपुर राघवेंद्र दास, वरिष्ठ पत्रकार यशोदा श्रीवास्तव, विजय पांडेय, अनिरुद्ध लाल,विजय सिंह,मनीष सामंत,महेंद्र शर्मा,सुरेंद्र सिंह, अमित सिंह मोनू,सुधीर सिंह, सत्यप्रकाश, विरेन्द्र सिंह, सुधेश मोहन,विनीत पांडेय,धीरज त्रिपाठी,गौतम सिंह,सतीश,महेंद्र कुमार,सुनील यादव,सत्येंद्र यादव, वीरेंद्र पांडेय सहित अन्य पत्रकारों ने शोक संवेदना व्यक्त किया।