संवाददाता मृत्युंजय कुमार मिश्रा
महराजगंज: मुख्यालय पर लंबे समय से चल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में जिला प्रशासन के अफसरों और नेशनल हाइवे के इंजीनियरों ने बिना विधिक प्रक्रिया का पालन किये एक झटके में जबरदस्ती बिना मुआवजे के उनके मकान और दुकान उजाड़ दिये गये और जनता के वोटों के दम पर चुने गये जिम्मेदार जनप्रतिनिधि चुपचाप ठेकेदारों के समर्थन में चुप्पी साधे खड़े रहे।
इस मामले ने तूल पकड़ा जब बीते 13 सितंबर को हमीद नगर मुहल्ले के निवासी और दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के पैतृक मकान को गैरकानूनी तरीके से जिला प्रशासन ने बुलडोजरों से ध्वस्त करा दिया।सड़क निर्माण की इस जल्दबाजी के पीछे 185 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट है।
पत्रकार द्वारा की गयी शिकायत के बाद 27 फरवरी को महराजगंज जनपद मुख्यालय पर बस्ती के मंडलायुक्त और वरिष्ठ आईएएस अनिल कुमार सागर अपनी टीम के साथ खुद पहुंचे और विस्तृत जांच पड़ताल की।
बस्ती के मंडलायुक्त ने शासन को भेजी गयी अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों द्वारा तथ्यों को छिपाते हुए अवैधानिक तरीके से जिला प्रशासन का सहयोग प्राप्त कर शिकायतकर्ता के मकान को बलपूर्वक हटवाया गया, जो किसी भी तरह से उचित नहीं था। मंडलायुक्त ने यह भी पाया कि न तो शिकायतकर्ता को कोई नोटिस जारी की गयी और न ही अतिरिक्त भूमि के लिए विधिक प्रक्रिया का पालन किया गया। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायतकर्ता की यदि जमीन ली जानी थी तो उसे पहले इसका मुआवजा दिया जाना चाहिये था फिर इसके बाद ही मकान ध्वस्त किया जाना चाहिये था।
इस जांच के अलावा नई दिल्ली से राष्ट्रीय मानव अधिकार आय़ोग की जांच टीम ने भी आकर लगातार पांच दिन तक महराजगंज में गहन जांच पड़ताल की थी और सभी पक्षों व स्वतंत्र गवाहों के बयानात आदि दर्ज किये थे।इसकी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक होना बाकी है।