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प्राइवेट स्कूल में किताबों की खरीद के नाम पर लूट का सिलिसला जारी
प्राईवेट स्कूलो की लूट कब रुकेगी ?
कहां है शिक्षा विभाग ?कहाँ है सरकार
प्राइवेट स्कूल में किताबों की खरीद के नाम पर लूट का सिलिसला जारी
लखनऊ : एक अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है और अधिकतर स्कूलों में एडमिशन भी हो रहे हैं. स्कूलों द्वारा अभिभावकों को किताब कॉपियों की लिस्ट थमाई जा रही है. वहीं उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि किस दुकान से वे किताबें और अन्य आवश्यक सामग्रियां खरीदें
जहां एक तरफ योगी सरकार प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगा रही है वहीं दूसरी तरफ सरकार के नियमों को ताक पर रखते हुए शिक्षा को बनाया बिजनेस
स्कूल के प्रबंधक वा प्रधानाध्यापकों के द्वारा जिस किताब का मूल्य 1000 रुपए हैं उसे बाहर अपनी सेटिंग की हुई दुकान पर 1200 -1500 के दामों पर बेची जा रही है तथा शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की महंगाई से कमर तोड़ी जा रही है सरकार का ध्यान ऐसे स्कूल पर क्यों नहीं पहुंच पा रहा है जबकि ऐसे स्कूल हर शहर की हर गली में भरे पड़े हैं
एक अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है और अधिकतर स्कूलों में एडमिशन भी हो रहे हैं. स्कूलों द्वारा अभिभावकों को किताब कॉपियों की लिस्ट थमाई जा रही है. वहीं उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि किस दुकान से वे किताबें और अन्य आवश्यक सामग्रियां खरीदें . प्रदेश सरकार द्वारा इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए तमाम तरह के दावे किए गए लेकिन न तो स्कूलों की मनमानी रूकी और न ही शिक्षा में सुधार हुआ.
अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों की यह मनमानी उनके लिए बेहद परेशानी भरी है लेकिन उनकी मजबूरी है कि बच्चों की शिक्षा के लिए उन्हें अपनी हैसियत से बाहर जाकर भी यह रकम खर्च करना पड़ रही है. किताबों के इन दामों के विषय में जब दुकानदार से पूछा गया तो उनका कहना है कि इस वर्ष भी दामों में 20 प्रतिषत वृद्धि हुई है.
प्रदेश सरकार द्वारा गत वर्ष आदेश जारी किया गया था कि सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जानी हैं लेकिन अधिकतर स्कूलों में निजी पब्लिकेशन्स की किताबें पढ़ाई जा रही हैं. इन किताबों की कीमत 1000 रूपए से लेकर 3000 रूपए तक प्रति किताब है.इसके अलावा कौन सी कॉपियां बच्चों के लिए खरीदना है ये भी स्कूल ही तय करते हैं और बकायदा अभिभावकों को इसकी लिस्ट दी जाती है.
राजधानी लखनऊ जिले में करीब 2000 प्राथमिक, माध्यमिक और हाई स्कूल हैं जो निजी संस्थाओं द्वारा संचालित हैं. इन स्कूलों की समितियां भी हैं लेकिन उनका प्रबंधन पर कोई नियंत्रण नहीं है. इन स्कूलों में नियम कायदे भी हैं लेकिन सिर्फ स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए.
पत्रकार जुबेर अहमद