सुल्तानपुर : फसलों को रोगों से बचाने का सबसे सुरक्षित और आसान उपाय है ट्राइकोडर्मा
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चाँदा/सुल्तानपुर (केशव कुमार तिवारी) । धान क़ी फसल के लिए नर्सरी का समय चल रहा है । फसल को रोगों से बचाने का सबसे सुरक्षित तरीक़ा ट्राइकोडर्मा का उपयोग है ।
कृषि विशेषज्ञ ज्ञानचन्द्र तिवारी ने कहा कि ट्राइकोडर्मा का उपयोग और बीजोपचार करना पर्यावरण की दृष्टि कोण से बहुत अच्छा है।ट्राइकोडर्मा एक मित्र जैविक फफूफ है जो मृदा जनित रोगों और हानिकारक रोग फैलाने वाले भूमिगत बीमारियों की रोकथाम करता है।ट्राइकोडर्मा जड़ गलन, तन गलन, बीज सड़न, उकठा जैसी कई बीमारियों की रोकथाम में आता है। श्री तिवारी ने बताया कि धान या किसी भी फसल का बीजोपचार के लिए एक किलो ग्राम बीज को थोड़ा सा गीला करने के बाद उसमें 4 से 6 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर बीज उपचारित कर लिया जाता है।
भूमि उपचारित करने के लिए 25 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद में 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर भूमि उपचारित कर लिया जाता है। ट्राइकोडर्मा से मृदा जनित बीमारियों का नियंत्रण होता है। ट्राइकोडर्मा में रोगप्रिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है। जिसके कारण पौधों की वृद्धि में यह सहायक होने के साथ साथ यह एक एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। ट्राइकोडर्मा के उपयोग से मिट्टी खराब हो चुकी उपजाऊ बनाई जा सकती है । इसका उपयोग पर्यावरण के लिए बहुत ही लाभदायक है।
ट्राइकोडर्मा जनपद के सभी राजकीय बीज गोदाम पर अनुदान पर उपलब्ध है किसान जिसका लाभ ले सकते हैं।