स्वावलंबन” शब्द सार” संस्था के द्वारा भव्य राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया

नई दिल्ली । स्वावलंबन” शब्द सार” संस्था के द्वारा भव्य राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसमे पूरे देश के  कलमकारों ने शिरकत की |कार्यक्रम का शुभारंभ  दीप प्रज्वलन व श्रीमती कमल धमीजा द्वारा  माँ शारदे की अराधना एवं माल्यार्पण के साथ हुआ।  गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती शकुंतला मित्तल जी द्वारा की गई।मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार  डा० दुर्गा सिन्हा “उदार”  ने अपनी गरिमामय  उपस्थिति से कार्यक्रम को सुशोभित किया | विशिष्ट अतिथि के रूप मे डा० विष्णु सक्सेना ,डा०सुषमा भंडारी, सुरेखा शर्मा , सविता स्याल  , आभा कुलश्रेष्ठ
, अभय सिंह जी की उपस्थिति रही | यह गोष्ठी राष्ट्रीय अध्यक्षा स्वावलंबन ट्रस्ट  मेघना श्रीवास्तव एवं राष्ट्रीय महामंत्री राघवेंद्र मिश्रा के मार्गदर्शन में,राष्ट्रीय संयोजिका(स्वावलंबन” शब्द सार” )श् परिणीता सिन्हा एवं प्रांत संयोजिका (हरियाणा) श्रीमती कमल धमीजा द्वारा आयोजित  की गई|राष्ट्रीय संयोजिका , परिणीता सिन्हा द्वारा डिजिटल काव्य गोष्ठी का कुशल संचालन किया गया ।कवियो ने अपने सुंदर  काव्य पाठ  से  गोष्ठी में चार चाँद लगा दिए और शाम को यादगार  बना दिया|  राष्ट्रीय अध्यक्षा मेघना श्रीवास्तव ने सभी उपस्थित साहित्यकारों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए गोष्ठी का समापन किया | कार्यक्रम मे उपस्थित कवियों के काव्य पाठ की पंक्तिया :
🎙️श्रीमती चन्नी वालिया
 “मैंने  इन सबका अनुभव  किया है,
भीनी भीनी खुशबू और रंगों  को परखा है| “
🎙️श्रीमती रजनीश गोयल
“आशियां जिस का छूट गया है।
होगा सुंदर घर उसका विश्वास रहे।”
🎙️श्रीमती शालिनी तनेजा
“रात के अंधेरे जब  भयभीत तुमको कर रहे हों,
यकीं की अपने थाम अँगुली  तुझे जीत तक ले जाऊंगी “
🎙️श्रीमती दीपशिखा श्रीवास्तव “दीप”
“स्मृतियों में बचपन को क्यों है जीना ?
उधड़ी यादों के पैबंद क्यों है सीना?”
🎙️श्री अंशुकर महेश 
“तेज़ाब के छींटों में परिवर्तित होने से पहले,
चल भिगो लें स्वयं को”
🎙️श्रीमती बबली सिन्हा ,
“हर आम और खास इंसान मजबूरी में पड़े हैं
आज सब दूर दूर खड़े हैं “
🎙️श्रीमती अभिलाषा विनय
“उसी सूने से आँचल की कुर्बानी याद करती हूँ।
फलक तक गूँजती उनकी कहानी याद करती हूँ।”
 🎙️श्रीमती कनक लता “गौड़ “,
“प्रेम है,लौकिकता से अलौकिकता की प्राप्ति..।
प्रेम है,रहस्य को उजागर करता सत्य.”
🎙️श्रीमती शशि श्रीवास्तव,
“मेरे है दो मन, एक खूबसूरत  ,एक चालाक पहला
 मन दूसरे मन पर हावी हो जाता है |”
🎙️श्रीमती अंजू सिंह,
“जो रातों को मुझे सोने नहीं दे अक्सर 
मेरी नींदों का वही अधूरा ख्वाब हो तुम “
🎙️श्रीमती कमल धमीजा
“छुड़ाकर मुझसे क्यूँ दामन को अपने
मेरी नींदे उड़ाना चाहते हो।”
श्रीमती इंदू “राज”निगम
“आज है मुश्किल तो ये कल जाएगी
ये मुसीबत आई है टल जाएगी |”
🎙️श्री राजेन्द्र निगम”राज
‘गंगाजल में चाहे डुबकी लाख लगा लें हम
मन के पाप नहीं धुलते हैं तन को धोने से”
🎙️श्री शशि कान्त श्रीवास्तव
“जाने क्या पुण्य किया था हमने -जो 
तुम ,बन आ गई हमारी ,प्राण प्रिये” 
🎙️श्री रजनीश “चित्रांश”,
“निर्बल दीन दुखी के भगवान बनो तुम 
एक सच्चा इंसान बनो तुम” 
🎙️श्री शैलेश प्रजापति शैल 
“जीने की आस दिल में  जगी  हो जैसे।
तेरे  कदमों  की आहट  सुनी  हो जैसे।”
🎙️श्रीमती सरोज सिंह
“अँग में विभूति रमें,गौरी गनेश सँग में,
हाथ में त्रिशूल लिए,डमरू बजाएँगे।”
 🎙️श्रीमती परिणीता सिन्हा ,
“हर घर में जीती है एक परिणीता,
जो नहीं मानती है कोई सीमा रेखा।”
🎙️डा० विष्णु सक्सेना,
“हौसले जब भी बुलंद होते हैं 
पर काटने कई खड़े होते हैं “
🎙️डा॰.सुषमा भण्डारी,
“बाट निहारी पल पल तेरी ,आया नहीं हरजाई क्यु”
🎙️श्रीमती सुरेखा शर्मा
‘रात का गहरा अँधेरा ,अब मुझे डसने लगा “
🎙️श्रीमती  सविता स्याल,
“वह सब जो दुनियाँ से
नही कह पाती,
बस इसी से कह जाती हूँ|”
🎙️श्रीमती आभा कुलश्रेष्ठ
“कागज की नाव लिए हंसता है बचपन
त्रस्त जनजीवन में छाया नवयौवन”
🎙️श्री अभय सिंह
“कोई कहता है, हम भ्रमर से स्वछंद है” 
🎙️डा॰ .दुर्गा सिन्हा “उदार”,
‘ये ‘ उदार’ चल रहा, प्रेम का सिलसिला, ये इबारत नहीं है, तो है और क्या ।”
🎙️श्रीमती शकुंतला मित्तल,
“ले कागज़ की छोटी कश्ती  दूर घूम कर आ जाते,
भोले पन में उछल उछल कर झूम-झूम कर हम गाते”
स्वावलम्बन शब्द सार की राष्ट्रीय संयोजिका एवं द्वारा समस्त काव्य मनीषियों को प्रस्सतिपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।