अतंर्राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंस्था का गठन ब्राह्मणों के स्वाभिमान की रक्षा करने के लिए हुआ- पंडित बृजेन्द्र शुक्ला

नई दिल्ली।पंडित बृजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि अतंर्राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंस्था का गठन ब्राह्मणों के स्वाभिमान की रक्षा करने, उनकी सुरक्षा, सहयोग एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में संगठित समाज की ही आवाज सुनी जाती है। हमारे संगठित नहीं होने के कारण हमारी सर्वत्र उपेक्षा की जा रही है। हमारे पूर्वजों को लक्ष्य कर झूंठ एवं मनगढ़न्त कहानियां गढ़कर हमें निशाना बनाया जा रहा है और विभिन्न जातिवादी संगठन एवं राजनैतिक दल हमारे प्रति घृणा तथा द्वेष की भावना पैदा कर रहे हैं।  राजनैतिक दलों में उपस्थित हमारे स्वजातीय नेता भी इस सम्बन्ध में चुप रहते हैं और प्रायः हमारे विरुद्ध पारित होने वाले नित नये नियम-कानूनों पर अपनी सहमति जताते हैं, क्योंकि वे जातीय गौरव से रहित एवं छुद्र स्वार्थ के लिए अपना स्वाभिमान दांव पर लगाकर राजनीति में आये हैं। जबकि दूसरी जातियों के नेता अपनी जाति एवं वर्ग के साथ खुलकर खड़े होते हैं, उनके सम्मेलनों में जाते हैं, उनकी मांगो के समर्थन में संसद एवं विधान सभाओं में आवाज बुलन्द करते हैं।  इन विडम्बनाओें की समाप्ति हेतु , महासंस्था आप सबका आवाहन करती है, कि आईये हम सब मिलकर संगठित होकर एक वृहद् परिवार की धारणा लेकर आगे बढें। जिससे जिस किसी भी क्षेत्र में सहयोग हो सके अपने भाई/बहिन, बच्चों एवं बुजुर्गों का सहयोग करें। अपने ब्राह्मण होने पर गर्व करें, अपनी पहचान पुनः स्थापित करें।  हम कान्यकुब्ज, सरयूपारी, सनाढ्य, जुझौतिया, सारस्वत, मैथिल, बंगाली, मराठी, उड़िया, भट्ट, गिरि, गुसाई, भूमिहार, महापात्र, पंडा, द्रविड़ आदि जो भी अपने को ब्राह्मण मानता, कहता व लिखता है उन सबको बिना किसी गोत्र, क्षेत्र, वेश-भूषा अथवा खान-पान के भेदभाव के एक समान ही परिवार का सदस्य मानते हैं। महासंस्था किसी भी धर्म, जाति, वर्ण या वर्ग के विरुद्ध नहीं है। हमारा उद्देश्य अपने को सुरक्षित, समर्थ एवं सशक्त कर अपने पूर्वजों की तरह ही प्राणी मात्र का कल्याण करना है।  सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।