आज़ादी के बाद कई जिलों में विस्थापित सिक्ख और किसानों को मिला मालिकाना हक

निर्वाण टाइम्स संवाददाता
मुजाहिद खान रामपुर

 

मालिकाना हक दिलाये जाने पर बलदेव सिंह औलख ने मुख्यमंत्री को कहा धन्यवाद

रामपुर।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत पाकिस्तान बटवारे के बाद विभिन्न जनपदों जिनमें लखीमपुर खीरी, शाहजहाॅपुर, पीलीभीत, बरेली, रामपुर, बिजनौर आदि में विस्थापित सिक्ख किसान एवं गैर सिक्ख एवं किसानों को मालिकाना हक दिलाये जाने हेतु मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापन के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया ।
जिसमें कहा कि देश बटवारे के बाद बहुत सारे सिक्ख किसान व गैर सिक्ख किसान उत्तर प्रदेश के भिन्न-भिन्न जिलों लखीमपुर खीरी, शाहजहाॅपुर, बरेली, रामपुर, बिजनौर आदि में आकर जो तत्समय जंगल था व नवाबों की रियासत व राजाओं की भूमि पर इन लोगों द्वारा रात-दिन मेहनत करके तथा बीमारियों से जूझते हुए इस भूमि को कृषि कार्य योग्य भूमि तैयार की गयी थी । तथा यह कृषि योग्य भूमि ज्यादातर किसानों के नाम या उसके बाद कहीं भूमि पर जंगल व सीलिंग दर्ज करके इन किसानों का बराबर उत्पीड़न हो रहा था तथा इस समस्या के समाधान हेतु कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया।उत्तर प्रदेश में समय-समय पर सरकारें आती रहीं लेकिन इन किसानों के बारे में कोई ध्यान नहीं दिया गया जिससे किसानों की समस्या यथावत बनी रही थी।जबकि विस्थापित किसान तीन-चार पीढ़ियों से उसी भूमि पर कृषि करते रहे तथा सरकार द्वारा वहाॅ पर स्कूल,पक्की सड़के, नलकूप, विद्युत कनेक्शन आदि दिये गये हैं तथा यह लोग चीनी मिल में शेयर होल्डर आदि लेकर निवास कर रहे हैं।
औलख ने कहा कि 20 जून 2020 को मेरे साथ कुछ अकाली प्रतिनिधि व सिक्ख संगठन के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर किसानों की इस समस्या के समाधान हेतु संज्ञान में लाया गया।उक्त भूमि पर गुजर बसर कर रहे किसानों को उनका मालिकाना हक दिलाने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये निर्देशानुसार राजस्व विभाग द्वारा 6 सदस्यीय एक समिति का गठन किया गया है,जो तीन माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।समिति सभी पहलुओं पर रिपोर्ट देगी । इस समिति में जनपद से सम्बन्धित मण्डल के मण्डलायुक्त, अध्यक्ष व मण्डल के मुख्य वन संरक्षक व सम्बन्धित जनपद के प्रभागीय वनाधिकारी, सम्बन्धित मण्डल के मुख्य अभियन्ता व सम्बन्धित जनपद के अधिशाषी अभियन्ता (सिंचाई), सम्बन्धित मण्डल के उप गन्ना आयुक्त व सम्बन्धित जनपद के जिला गन्ना अधिकारी, जनपद के बन्दोबस्त अधिकारी, सदस्य एवं जनपद के जिलाधिकारी द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी सदस्य/सचिव होंगे। जो कि निम्न मुख्य बिंदुओं पर विचार कर अपनी रिपोर्ट देगी।

1. ऐसे परिवारों की प्रास्थिति तथा भूमि का रकबा जिस पर उनका कब्जा बताया जा रहा है।
2. तत्समय व वर्तमान अभिलेखों के अनुसार भूमि की प्रास्थिति।
3. समिति द्वारा वन,सिंचाई,राजस्व विभागों से सम्बन्धित विधिक प्राविधानों के आलोक में वन विभाग,सिंचाई व अन्य सुसंगत विभागों के अभिलेखों,राजस्व विभाग के मूल बन्दोबस्त से लेकर अद्यतन राजस्व अभिलेखों का गहन परीक्षण करेगी।
4.समिति द्वारा इस तथ्य का भी परीक्षण किया जायेगा कि जिन भूखण्डों को वन विभाग का बताया जा रहा है,उन भूखण्डों के सम्बन्ध में वन अधिनियम की धारा-4 की अधिसूचना कब जारी की गयी है।
5.धारा-20 की अधिसूचना जारी करने से पूर्व प्रभावित पक्ष को सुना गया है।
6.जब कृषक भूमि पर खेती कर रहे थे तो यह भूमि वन भूमि में कैसे दर्ज हो गयी है।
7.प्रश्नगत प्रकरण में अतिक्रमण यदि 1980 के पूर्व का है तो रेगुलराइजेशन ऑफ ओल्ड एनक्रोचमेंट की एफसी एक्ट में दी गयी व्यवस्थानुसार कृषकों को क्या राहत प्रदान की जा सकती है।
8. भूमि का सत्यापन प्रभावित पक्ष की उपस्थिति में किया जायेगा।
बलदेव औलख ने कहा कि सभी सिक्ख किसान एवं गैर सिक्ख किसानों की तरफ से मुख्यमंत्री को बधाई देना चाहता हॅू कि भारत पाकिस्तान बटवारे के पश्चात विस्थापित किसानों की समस्या के निराकरण हेतु तत्काल समिति का गठन किये जाने का निर्णय लिया गया।