न्यूज़ संवादाता
प्रतिष्ठा श्रीवास्तव की रिपोर्ट
कल है वसंत पंचमी का त्यौहार, यहां जानें इसका महत्व और पूजा की पूरी विधि
पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं होता है वह लोग वसंत पंचमी को मां सरस्वती को पूजा कर अपने इस योग को ठीक कर सकते हैं।
वसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन यानि पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन देश के हर कोने में मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है।आपको बता दें कि यह दिन साल के कुछ खास दिनों मे से एक माना जाता है। कुछ लोग इसे “अबूझ मुहूर्त” भी कहते हैं।पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं होता है वह लोग वसंत पंचमी को मां सरस्वती को पूज कर अपने इस योग को ठीक कर सकते हैं। इस साल देश में बसंत पंचमी का ये त्योहार 29 जनवरी को मनाया जाएगा।
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा महत्व
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि जिन भी लोगों के भाग्य में शिक्षा और बुद्धि का योग नहीं है, या जिनके भी शिक्षा के मार्ग में रुकावट आ रही है, उनके इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से सभी तरह की कठिनाइयां दूर होती हैं।इस दिन श्रद्धालु मां सरस्वती से पूजा करते वक्त कामना करते हैं कि- माता सरस्वती उन्हें सद्बुद्धि दें और उन्हें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाएं।
वसंत पंचमी का पर्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। भारत में परंपरा है कि आज के दिन बच्चों के माता-पिता उन्हें पहला शब्द लिखाकर उनकी शिक्षा प्रारम्भ करते हैं।
पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते वक्त पीले या फिर सफेद कपड़े पहनने चाहिए.
ध्यान रहे कि काले और लाल कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा ना करें।
वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके करनी चाहिए.
मान्यता है कि मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले फूल बेहद पंसद है इसलिए उनकी पूजा के वक्त इन्हीं का इस्तेमाल करें।
पूजा के दौरान प्रसाद में दही, लावा, पीली मिठाई, मीठी खीरआदि अर्पित करना चाहिए।
इस मंत्र का करें जाप
इस दिन विशेष रूप से लोगों को अपने घर में सरस्वती यंत्र स्थापित करना चाहिये, तथा मां सरस्वती के इस विशेष मंत्र का 108 बार जप करना चाहिये. मंत्र – ‘ऊँ ऐं महासरस्वत्यै नमः’ ।
होली का आरंभ भी वसंत पंचमी से ही होता है. इस दिन पहली बार गुलाल उड़ाते हैं और बसंती वस्त्र धारण कर नवीन उत्साह और प्रसन्नता के साथ अनेक प्रकार के मनोविनोद करते हैं। ब्रज में भी वसंत के दिन से होली का उत्सव शुरू हो जाता है।