जिला अस्पताल की चौखट पर तीन घंटे तड़पता रहा ; डाक्टरों नेे छूआ तक नहीं,
सिद्धार्थनगर: जिला अस्पताल में एक मरीज तीन घंटे तक तड़पता रहा लेकिन वहां के चिकित्सकों ने उसे छूआ तक नहीं। इस दौरान मरीज की मौत हो गई। …
गोरखपुर, कोरोना के खौफ डाक्टर अपनी ड्यूटी ही नहीं मानवता भी भूल चुके हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों को छूने से चिकित्सक बच रहे हैं। मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सिद्धार्थनगर में हुई जहां एक मरीज जिला अस्पताल की चौखट पर तीन घंटे तक तड़पता रहा लेकिन चिकित्सकों ने उसे छूआ तक नहीं। काफी नोंकझोंक और बवाल के बाद तीन घंटे बाद मरीज को चिकित्सक ने देखा लेकिन उसे देखते ही चिकित्सक ने अपने ऊपर से बला टालते हुए मरीज को मेडिकल कॉलेज भेज दिया, मेडिकल कॉलेज जाते हुए मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई।
यह है मामला
सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज क्षेत्र का रहने वाले रामू की तबियत खराब हुई तो रामू का भाई सोमवार की रात जिला अस्पताल पहुंचा। यहां उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। इसी बीच सांस की बीमारी से पीडि़त रामू के एक दोस्त ने कोरोना योद्धा की भूमिका निभा रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े राजन द्विवेदी के पास फोन किया। राजन ने सरकार और स्वास्थ्य मंत्री की दुहाई देते हुए सीएमओ को चार बार फोन किया। जब उसे भर्ती नहीं किया गया तो राजन खुद जिला अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने दबाव डालकर डॉक्टरों से रामू को भर्ती तो करा दिया लेकिन एक घंटे बाद ही जिला अस्पताल से रामू को बाबा राघवदास मेडिकल कालेज गोरखपुर के लिए रेफर कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज जाते समय रास्ते में ही रामू की मौत हो गई।
परिजनों ने यह लगाया आरोप
रामू के भाई के अनुसार उसकी मौत जिला अस्पताल में हुई लेकिन उसके बाद भी उसे रेफर किया गया। यदि तीन घंटे तक उसे इंतजार नहीं करना पड़ता तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस मामले में फेसबुक के माध्यम से स्वास्थ विभाग की पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए समाज सेवी राजन द्विवेदी ने स्वास्थ्य मंत्री को भी जिला अस्पताल की अव्यवस्था से अवगत कराया है। डुमरियागंज क्षेत्र के रीवा निवासी रामू का दाह संस्कार प्रशासन ने सुबह करा दिया है और उसके भाई को क्वारंटाइन कराया गया है।
मुंबई से आया था घर
रामू पुत्र गंगा राम उम्र 32 वर्ष। बीते माह 15 तारीख मुंबई से घर आया था। जिसके बाद सेंट थॉमस में थर्मल स्क्रीनिंग करा होम क्वारंटीन हो गया। बुखार आने पर पांच जून को परिजन भारत भारी (मोतीगंज) चौराहे पर स्थित निजी चिकित्सक के यहां ले गए। डाक्टर ने जब ट्रैवेल हिस्ट्री पूछी तो रामू ने चार माह पहले मुंबई से आने की जानकारी दी। इलाज के दौरान सोमवार को सांस लेने की दिक्कत हुई तो परिजन बस्ती कृष्णा मिशन अस्पाल ले गए। लक्षण देखकर वहां डाक्टरों ने उसे घर वापस भेज दिया और आशा को सूचित करने को कहा। आशा के सहयोग से परिजन उसे एंबुलेस से जिला अस्पताल सिद्धार्थनगर ले गए। यहां उसकी मौत होने के बाद नमूना लेकर शव को एंबुलेंस द्वारा रात में गांव पहुंचाया गया। जिसे रात करीब तीन बजे प्रशासन ने गांव श्मशान घाट पर दफना दिया। साथ ही एंबुलेंस साथ गए उसके भाई को खैर टेक्निकल सेंटर में क्वारंटाइन कर दिया।
अधिकारियों ने कहा
एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि मृतक के लक्षण के आधार पर कोरोना प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार कराया गया है। सीएमओ डाक्टर सीमा राय ने कहा कि मृतक का नमूना लिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।