नहीं आए मुख्यमंत्री और गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन भी नहीं हुआ।
नहीं आए मुख्यमंत्री और गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन भी नहीं हुआ।
गोरखपुर। लोक कल्याण के लिए गुरुवार को एक बार फिर नाथ परंपरा तोड़ी गई। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉक डाउन के पालन को लेकर मंदिर से नवरात्र की नवमी पर कन्या पूजन का आयोजन नहीं किया गया।
योगी कमलनाथ ने इस तरह की कन्या पूजन
मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की नामौजूदगी में मंदिर के प्रधान पुजारी कमलनाथ ने नौ कन्याओं और एक बटुक भैरव के घर जाकर पूजन की आनुष्ठानिक औपचारिकता पूरी की। इस दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग के मानक का पालन किया गया।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर हुआ हुआ कार्यक्रम
इससे पहले मंदिर की यज्ञशाला में प्रधान पुरोहित रामानुज त्रिपाठी वैदिक ने वेदपाठी ब्राह्मणों के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच चैत्र नवरात्र की नवमी पर हवन-पूजन किया। इस आनुष्ठानिक कार्यक्रम में यजमान की भूमिका में प्रधान पुजारी कमलनाथ की मौजूदगी रही। समस्त कार्यक्रम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी की देखरेख में संपन्न कराया गया।
लोक कल्याण के लिए नई परंपरा का निर्माण नाथ पंथ की खासियत
दरअसल लोक कल्याण के लिए पुरानी को तोड़कर नई परंपरा का निर्माण नाथ पंथ की खासियत रही है। कोरोना के संक्रमण की वजह से ही मुख्यमंत्री योगी होली के दिन गोरखपुर रहने के बावजूद नरसिंह यात्रा में शामिल नहीं हुए थे। ऐसा करके भी उन्होंने पंथ की परंपरा तोड़ी थी।
योगी आदित्यनाथ कर रहे निर्वाह
नाथ पंथ से गहरे जुड़े डॉ. प्रदीप राव बताते हैं कि नाथ पंथ का अभ्युदय जड़वत पुरानी परंपराओं को तोड़कर लोक कल्याण के लिए नई परंपरा के सृजन के लिए हुआ है। यही वजह है कि गुरु गोरक्षनाथ से लेकर योगी आदित्यनाथ ने लोगों के लिए पुरानी परंपराओं को तोडऩे और नई परंपराओं के गढऩे में कोई हिचक नहीं दिखाई। इसी खूबी की वजह से नाथ परंपरा का सम्मान संपूर्ण विश्व करता है।