नीम-हकीम खतरे जान को चरितार्थ कर रहे बंगाली डॉक्टर

 

निर्वाण टाइम्स संवाददाता

लखीमपुर-खीरी (कमल वर्मा/पवन सक्सेना)ऐसा माना जाता है कि आधी अधूरी जानकारी लेकर काम करने में अधिकतर धोखे की ज्यादा उम्मीद रहती है और अगर ऐसी गलती चिकित्सा के क्षेत्र में की जाए तो ऐसी गलती किसी की जान पर भी भारी बन सकती है।
वैसे तो संपूर्ण जिले में तमाम प्राइवेट अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं।जिनमें से पता नहीं कितने मानक पात्रता को पूरा करते होंगे और कितने नहीं फिलहाल इस बात पर भी चिकित्सा विभाग का कई बार हंटर चला लेकिन अगर जमीन से जुड़कर इन प्राइवेट अस्पतालों की हालत देखी जाए तो शायद कुछ अस्पताल तो भगवान भरोसे ही चल रहे हैं। फिलहाल बात प्राइवेट अस्पताल तक ही नही है।आपको बता दें कि क्षेत्र में बंगाली डॉक्टरों की भी बाढ़ सी आ गई है।गौरतलब बात यह है कि इनमें से अधिकतर बंगाली डॉक्टर अपने क्लीनिक के आगे बोर्ड पर कुछ बीमारी जैसे फोड़े,फुंसी,भगंदर इत्यादि का इलाज लिखते हैं लेकिन उसकी आड़ में ऐसे बड़े बड़े इलाज की जिम्मेदारी ले लेते हैं जिनके उपचार करने की ना तो उनके पास कोई डिग्री है और ना ही ज्ञान।कुछ बंगाली डॉक्टर तो अपनी क्लीनिक में आने वाले रोगियों के ग्लूकोस की बोतल तक चढ़ा देते है फिर चाहे रोगी को फायदा करें या साइड इफेक्ट।
ऐसा ही मामला गोला गोकर्ण नाथ नगर के अंतर्गत चल रहे एक बंगाली डॉक्टर के क्लीनिक मे देखने को मिला है जहां बंगाली डॉक्टर एक आने वाले रोगी को ग्लूकोस की बोतल चढ़ा रहे हैं। फिलहाल बात यह सोचने वाली है कि जिला के चिकित्सा विभाग के इतने बड़े-बड़े आला अधिकारियों की उपस्थिति में रहकर भी इस तरीके की लापरवाही रवैया से क्लीनिक चलाए जा रहे हैं और अधिकारी मूकदर्शक बने हुए है।