बस्ती(रुबल कमलापुरी)। जनपद के वाल्टरगंज का देशराज नारंग दयानंद इण्टर कालेज इन दिनों सुर्खियों में हैं। मामला यहां तैनात प्रधानाचार्य रमेश सिंह से जुड़ा है। कोई उन्हे नटवरलाल तो कोई गुरू घंटाल कह रहा है। आरोप है कि अनुभव और शैक्षिक प्रमाणपत्रों के मामले में उन्होने गुमराह कर प्रधानाचार्य का पद हासिल कर लिया है। प्रधानाचार्य को अपनी सफाई पेश करनी पड़ी। बताया गया कि वे यहां साल 2008 से तैनात है जिनकी नियुक्ति माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से हुई है। इससे पूर्व वे बस्ती, गोण्डा और लखनऊ में केन्द्रीय विद्यालय में तैनात थे। अनुभव के आधार पर उन्हे नये केन्द्रीय विद्यालय खोलने के लिये भेजा गया और उन्होने बखूबी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया यहां से उन्होने वीआरएस ले लिया जिसका पेंशन उन्हे आज भी मिल रहा है। शैक्षिक योग्यता और अनुभवों के आधार पर इन्हे 2008 में आयोग द्वारा प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया। हालांकि कालेजों में कार्य कर रहे कार्यवाहक प्रधानाचार्य कोर्ट चले गये। फैसला होने के बाद आरसी सिंह 2013 से वाल्टरगंज के देशराज नारंग दयानंद इण्टर कालेज में प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कभी आरटीआई कार्यकर्ता, तो कभी मीडिया या फिर निजी स्वार्थों में बेवजह परेशान करने वाले लोग प्रधानाचार्य के अनुभव और शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठाकर उन्हे टारगेट करते हैं जबकि पूर्व में हुई तमाम शिकायतों की जांच में प्रधानाचार्य पर लगाये जा रहे सभी आरोप तथ्यहीन साबित हो चुके हैं। स्वयं इण्टर कालेज के प्रबंधक भी डीआईओएस को जनवरी 2018 में लिखकर दे चुके हैं कि मुख्यमंत्री से की गयी 7 विन्दुओं की शिकायत के संदर्भ में हुई उच्चस्तरीय जांच में प्रधानाचार्य के अनुभव और शैक्षिक प्रमाण पत्र सही पाये गये थे। यहां तक कि शिकायतकर्ता ने अपनी अर्जी भी वापस ले लिया था। ऐसे भी कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं कि प्रधानाचार्य से निजी स्वार्थ हल करने और उन्हे परेशान करने की नीयत से फर्जी नाम पते से शिकायत की गयी डीआईओएस और जेडी की जांच में पता चला कि उस नाम का सम्बघित पते पर कोई व्यक्ति नही है। आरोपों को प्रधानाचार्य ने भी एक सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होने यह भी कहा मामला कोर्ट में है इसलिये जेडी या डीआईओएस को उनके खिलाफ कार्यवाही की शक्ति नही प्राप्त है फिर भी उन्हे बार बार नोटिस देकर प्रताड़ित किया जा रहा है। हैरान करने वाली बात है कि प्रधानाचार्य आरसी सिंह आयोग से भेजे गये हैं, जाहिर है अनुभव और शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच के बाद उनका स्थायीकरण किया गया होगा। लेकिन आयोग पर सवाल न उठाकर सीधे प्रधानाचार्य को टारगेट किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों, मीडिया और शिकायतकर्ताओं से तंग आकर प्रधानाचार्य ने कोर्ट में जाने की बात कही है।