सुविधा शुल्क के अभाव में अटकाई गई कृष्णा मिश्रा की शेष आवास राशि
रिपोर्ट ,रायबरेली से शिव शंकर मिश्रा की
रायबरेली – सरकार का सपना है कि कोई भी पात्र व्यक्ति बेघर न रहने पाए। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी गरीब परिवारों के उत्थान के लिए रात दिन प्रयासरत रहते हैं। सरकार ने अधिकतर योजनाओं का सृजन भी गरीबों के कल्याण को ध्यान में रखकर किया है। परन्तु योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले जिम्मेदार ही सरकार के सपनों को पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। सरकार ने आवासहीन गरीब परिवारों को पक्की छत मुहैया कराने के उद्देश्य से इन्दिरा आवास योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया है। तथा सरकार द्वारा आवंटित राशि में बढोत्तरी करते हुए सत्तर हजार रुपये से एक लाख बीस हजार रुपये कर दिया है। इसके साथ ही नब्बे मानव दिवस मनरेगा अंश भी लाभार्थियों को मजदूरी के रूप में उपलब्ध कराए जाते हैं। परंतु भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने इस योजना में भी दाग लगा दिया है। सरकार ने आवास लाभार्थी की पात्रता शर्तों को निर्धारित करते हुए जिम्मेदारों को गाइड लाइन जारी किया था कि जिनके परिवार में पक्का मकान हो, पूर्व में कोई भी आवास मिल चुका हो वह व्यक्ति प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं ले सकता है परंतु जिम्मेदारों ने सरकार के दिशानिर्देशों को दरकिनार करते हुए मनगढ़ंत कानून बनाकर चहेतों को आवासों का आवंटन किया। मामला प्रकाश में आने के बाद उनको कुछ समय के लिये अपात्र घोषित कर दिया गया। मामला रायबरेली जिले के विकास खंड डीह की ग्राम पंचायत निंंगोही से जुड़ा हुआ है। ग्राम पंचायत निवासी कृष्णा मिश्रा ने बताया कि उसके आवास की किस्त सुविधा शुल्क न मिलने के कारण रोक दी गई है। सूत्रों के अनुसार निंगोही में पंचायत सचिव तथा ग्राम प्रधान ने सरकार की पात्रता शर्तों की पोल खोलते हुए अपने चहेतों को उपकृत करने के उद्देश्य से उनकी अपात्रता को दरकिनार करते हुए रेवड़ियों की तरह आवासों का आवंटन कराया। जबकि लाभार्थियों में किसी के पिता को किसी के पुत्र को एक एक बार आवास मिल चुका है और उस आवास के वहीं इकलौते वारिस हैं। फिर भी उन्हीं को आवास का आवंटन किया गया। ऐसे लोगों को आवास आवंटन किया गया है जिनके पास पक्के मकान पहले से मौजूद हैं। जबकि जिन गरीबों के पास सर छुपाने का आशियाना नहीं है उनको लाख पात्रता एवं कानून कायदे सिखाए जाते हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच की जायेगी इसके आसार न के बराबर हैं। इन अपात्रों से आवंटित धनराशि वसूली की जाती है या फिर इन्हें पाक दामन करार देते हुए पूरे मामले में लीपापोती कर दी जाती है यह तो आने वाला समय बताएगा।