भरखनी में प्रशासनिक दावों की पोल खोलती आमतारा के गुड्डू की कहानी
हरदोई ( अनुराग गुप्ता ) । प्रवासी मजदूरों को लेकर हरदोई के जिलाधिकारी पुलकित खरे के द्वारा दिए गए निर्देश भरखनी ब्लाक में कोई मायने नहीं रखते, और यही वजह है कि विकासखंड के तमाम गांव में आए प्रवासियों का न तो स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया, और न ही निगरानी समिति द्वारा उनकी निगरानी ही की जा रही है। होम क्वारंटाइन की बजाए यह प्रवासी खुलेआम गांव में घूम रहे हैं, और लोगों से मिल भी रहे हैं। ग्राम पंचायत आमतारा में एक सप्ताह पहले दिल्ली से आए प्रवासी श्रमिक गुड्डू और उनकी पत्नी एवं चार बच्चों का न तो स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया, और न ही उन्हें होम क्वारंटीन के लिए कहा गया । लिहाजा ग्रामीणों की माने तो प्रवासी गुड्डू गांव में खुलेआम घूम रहा है, और लोगों से मिल भी रहा है। इस तरह की हो रही लापरवाही से कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस संबंध में जब खंड विकास अधिकारी विद्याशंकर कटियार से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि अब जानकारी मिली हैं उसकी, तत्काल जांच कराकर उसे होम क्वारंटीन कराया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि उस गांव के ग्राम प्रधान, आंगनवाड़ी और आशा बहुएं क्या कर रही हैं? क्या उन्हें गांव में आए प्रवासियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है? क्या जिला अधिकारी के द्वारा दिए गए निर्देश उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं ? एक बड़ा सवाल है।
विकासखंड भरखनी के ग्राम पंचायत आमतारा के गुड्डू बाल्मीकि ने बताया कि वह दिल्ली में मजदूरी करता था। लेकिन लॉकडाउन होने के बाद पिछले हफ्ते ही अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गांव आ गया, लेकिन उसके पास न तो पैसे हैं, और न ही कोई काम। इसलिए उसे दो वक्त की रोटी मिलना भी मुश्किल हो रहा है। गुड्डू ने बताया कि उसे आए हुए लगभग 7 दिन हो चुके हैं, लेकिन उसका न तो स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है, और न ही उसे होम क्वारंटीन के लिए कहा गया है। इतना ही नहीं उसे अभी तक जॉब कार्ड भी नहीं मिला, और न ही मनरेगा के तहत उसे कोई काम मिला है। गुड्डू ने बताया कि 8 वर्ष पहले वह मजदूरी करने दिल्ली गया था, लेकिन पिछले मार्च माह में लॉकडाउन होने के बाद जिस कंपनी में वह मजदूरी करता था । वह कंपनी पूरी तरह बंद हो गई है। अब गांव में ही काम का सहारा रह गया है, लेकिन वह भी अभी तक नहीं मिला । गुड्डू ने बताया कि दिल्ली में कंपनी में मजदूरी का काम करने पर महीने में 10 हजार रुपये तक मिल जाते थे, लेकिन उसे एक गांव में आए लगभग 7 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन एक पैसे का भी उसे काम अभी तक नहीं मिला है। आखिर वह अपने बच्चों को खिलाएगा क्या ? गुड्डू ने बताया कि उसके पास न तो रहने के लिए घर है, और न ही शौचालय। इस समय अपने भाई के घर में रह रहा है। गुड्डू ने बताया कि उसे किसी प्रकार की कोई भी सरकारी इमदाद अभी तक नहीं मिली है। मुफ्त में मिलने वाला 5 किलो चावल भी उसे नहीं मिला। गुड्डू का कहना है कि इससे तो अच्छा वह वहीं रहता। गुड्डू ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होते ही वह फिर किसी राज्य में मजदूरी करने चला जाएगा, ताकि वह अपने परिवार का पेट पाल सकें। इस संबंध में जब ग्राम प्रधान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें गुड्डू के आने की कोई जानकारी नहीं हुई। दरअसल उसका मोहल्ला थोड़ा दूर है। वहीं जब खंड विकास अधिकारी विद्याशंकर कटियार को जब इस बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने बताया कि गुड्डू के बारे में मीडिया से जानकारी हुई है, उसे तत्काल स्वास्थ्य परीक्षण कराकर होम क्वारंटीन कराया जाएगा।