प्रबन्धतंत्र के निर्देश के अनुरूप नए प्राचार्य महाविद्यालय में गढ़ेगे विकास के नए आयाम

महाविद्यालय के विकास के लिए प्राचार्य ने खींचा खाका

आधुनिक संसाधनों से लैस होगा महाविद्यालय

प्राचार्य बोले प्रबंधतंत्र की भावनाओं के अनुरूप मैं ईमानदारी और पारदर्शिता से करूंगा कार्य

सुलतानपुर(विनोद पाठक)। प्रबंधतंत्र की भावनाओं के अनुरूप मैं ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ विद्यालय के विकास कार्यों को आगे ले जाने का प्रयास करूंगा। पूर्व प्राचार्य के द्वारा जो कार्य अधूरे पड़े हैं, प्रबंध तंत्र के निर्देश से उसे मैं स्वयं पूरी जिम्मेदारी के साथ निष्ठा पूर्वक पूरा करूंगा। महाविद्यालय के विकास के लिए ऐसा खाका नए प्राचार्य ने तैयार किया हैं। प्रबंध तंत्र की भावनाओं के अनुरुप यदि कार्य पूर्ण कर ले गए तो निश्चित तौर पर महाविद्यालय में विकास के नये आयाम गढ़ जाएंगे, जो अपने में बेमिशाल साबित ही नही होंगे, बल्कि नये पाठ्यक्रम के साथ-साथ आधुनिक संसाधानों से महाविद्यालय लैस हो जाएगा। जिसका फायदा जिले के छात्र-छात्राओं को मिलेगा।
गौरतलब हो कि बहुत अर्से बाद नगर के सबसे पुराने गनपत सहाय महाविद्यालय को ऊर्जावान,प्रतिभावान प्राचार्य मिला है। नवागन्तुक प्राचार्य प्रो. डा. अंग्रेज सिंह राणा ने अभी कुछ दिन पहले महाविद्यालय में पदभार ग्रहण किया है। पदभार ग्रहण करने के बाद से ही उनके मन में महाविद्यालय के “चहुँमुखी” विकास की कार्य योजना चल रही है। शिक्षा के क्षेत्र में अति विशिष्ट पकड़ है। कुछ कर गुजरने का “सपना” पाल रखें हैं। नवागन्तुक प्राचार्य क्षमतावान, ऊर्जावान के धनी है। प्राचार्य का मानना है कि विशालकाय भवन के साथ परिसर है, बहुत ही सुंदर शिक्षक-कर्मचारी हैं। शिक्षक-कर्मचारियों के अंदर जो ऊर्जा भरी है, उसका सही इस्तेमाल कर महाविद्यालय को शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित ढ़ंग से आगे ले जाना उनका लक्ष्य है। जिससे कि शिक्षा के क्षेत्र में महाविद्यालय को ‘महारथ‘ हासिल हो। प्रेसवार्ता के दौरान शनिवार को नवागन्तुक प्राचार्य ने विकास का जो खाका खींचा था, जब उसको बयां करना शुरू किया तो शिक्षक-कर्मचारियों की तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। तालियों की यह गड़गड़ाहट अनायाश नही थी, बल्कि नये प्राचार्य का इससे ‘आत्मबल‘ बढ़ा होगा। प्राचार्य के ‘दिमाग‘ में महाविद्यालय को बढ़ाने की जो चंचलता चल रही है, यदि उस पर ‘अमलीजामा‘ पहना लिया गया तो महाविद्यालय के विकास में पंख लगने से कोई रोक नही सकता है। प्रबंधतंत्र समिति के निर्देश के अनुरूप नए प्राचार्य ईमानदारी और पारदर्शी तरीके से पूर्व के रुके विकास कार्य को पूरा करेंगे,जिससे शिक्षा के क्षेत्र में गनपत सहाय महाविद्यालय अग्रणीय भूमिका निभा सके। फिलहाल बहुत पुराना महाविद्यालय है, ढेर सारी अच्छाईयों के साथ कुछ-न-कुछ खामियां भी हैं। उन कमियों को दूर करने में नये प्राचार्य के लिए कठिन नही तो आसान भी नही है। अगर, जो छोटी-छोटी कमियां जो महाविद्यालय में व्याप्त है, उसे नये प्राचार्य प्रबंध तंत्र के निर्देश के अनुरूप खत्म कर ले गए तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में महाविद्यालय क्षितिज की दूरियां छूने से दूर भी नही रह सकता। यही सपना पालकर ब्रह्मलीन पं. रामकिशोर त्रिपाठी राम किशोर त्रिपाठी ने पाल रखा था। बड़े ही कठिन और विषम परिस्थितियों में विद्यालय को आगे बढ़ाने का काम किया। जिसे अब प्रबंधक ओमप्रकाश पाण्डेय बजरंगी पं. रामकिशोर त्रिपाठी की मिली शिक्षा क्षेत्र की विरासत को शानदार तरीके से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। अब नये प्राचार्य प्रो. डा. अंग्रेज सिंह राणा बचे विकास कार्य को आगे बढ़ाने का बीड़ा ही नही उठाया है, बल्कि धरातल पर लाने की पुरजोर कोशिश में लग गए हैं, जो काबिले तारीफ है और विद्यालय कें अंदर प्राचार्य के कुशल क्षमता की चर्चाए भी चल रही है।