अपर पुलिस महानिदेशक ने चलाया “ऑपरेशन 117”
जमीनी विवादो में पक्षों को पाबंद करेगा “ऑपरेशन 117”
गोरखपुर। 2 अक्टूबर को हुए देवरिया हत्या कांड के बाद पुलिस और प्रशासन समीक्षा कर उन पहलुओं की जांच कर रही है जिससे आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। आप को बता दे की शनिवार को एडीजी ने ऑपरेशन 117 की शुरुआत की जिसमे गंभीर जमीनी विवाद जिनमे ऐसी घटनाओं के होने की आशंका मात्र होगी उनके दोनो पक्षों को पाबंद किया जाएगा।
एडीजी ने बताया की विगत दिवस जनपद देवरिया के रुद्रपुर थाना अंतर्गत हुई हत्या की घटना की समीक्षा से पाया गया कि घटना मुख्य रूप से जमीनी विवाद से संबंधित थी। समीक्षा से यह तथ्य प्रकाश में आया कि जनपदों में जमीनी विवाद के ऐसे अधिकांश मामले हैं जिनमें दीवानी न्यायालय या राजस्व न्यायालयों में मुकदमें लंबित हैं जिनके कारण दोनों पक्षों में विवाद बना रहता है। ऐसे प्रकरणों में सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार पुलिस को नहीं होता है । इस घटना के परिपेक्ष में मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक महोदय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के क्रम में जमीनी विवाद के समस्त मामलों में पुलिस द्वारा समयबद्ध कार्रवाई किए जाने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया तथा इस बिंदु पर विचार किया गया कि इस तरह के मामलों में प्रभावी रूप से पुलिस की क्या भूमिका हो सकती है।
आइए जानते हैं पुलिस की भूमिका
दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 8 में परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति से संबंधित उपबंधों का प्रावधान है। जिसकी धारा 107 के अंतर्गत पुलिस द्वारा कार्यपालक मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट दी जाती है और विभिन्न प्रक्रियाओं का अनुपालन करने के उपरांत धारा 117 के अंतर्गत कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा प्रतिभूति देने के आदेश निर्गत किए जाते हैं। समीक्षा से पाया गया कि पुलिस द्वारा धारा 107 की रिपोर्ट तो कई मामलों में दी जाती है परंतु धारा 117 के अंतर्गत पाबंद करने हेतु दिए गए आदेशों की संख्या लगभग नगण्य है। इस संबंध में बस्ती परिक्षेत्र द्वारा एक प्रयोग के तहत अभियान चलाकर समीक्षा की गई तो यह पाया गया कि जिन मामलों में भी 117 द0प्र0सं0 का आदेश जारी हो गया है, अर्थात संबंधित पक्षों को पाबंद करा दिया गया है, उन सभी मामलों में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। बस्ती परिक्षेत्र के इसी मॉडल को आगे बढ़ाते हुए जमीनी विवाद के प्रकरणों में परिशांति कायम रखने के लिए “ऑपरेशन 117” नाम से एक अभियान प्रारंभ किया जा रहा है।
प्रथम चरण 31 अक्टूबर तक रहेगा
एडीजी ने निर्देश दिए की इस अभियान के प्रथम चरण में सर्वप्रथम प्रत्येक बीट उपनिरीक्षक बीट पुलिस अधिकारी(बीपीओ) अपने वीट क्षेत्र में पिछले 5 वर्षों में आइजीआरएस के माध्यम से दिए गए ऐसे समस्त प्रार्थना पत्रों का विश्लेषण करेंगे जिनमें अभी भी कोई विवाद है। ये मामले जमीनी विवाद, आपराधिक मामले या अन्य मामले भी हो सकते हैं। साथ ही आईजीआरएस के अतिरिक्त गांव के प्रधान, पूर्व प्रधान, अन्य सम्भ्रान्त व्यक्ति, लेखपाल, ग्राम प्रहरी आदि से भी बातचीत कर इस तरह के मामलों की जानकारी प्राप्त करेंगे।
प्रकरणों को चिन्हित करने के पश्चात सभी संबंधित पक्षों के ऐसे लोगों की सूची तैयार की जाएगी जिसे शांति भंग होने की आशंका है। यह ध्यान रखा जाएगा कि रिपोर्ट में ऐसे ही लोगों का नाम शामिल किया जाए जो बालिग हैं तथा जिनसे विवाद की वास्तविक आशंका है। मौके पर जाकर सत्यापन किए बिना किसी व्यक्ति का नाम नहीं डाला जाएगा।
सभी चिन्हित प्रकरणों में बीट पुलिस अधिकारी द्वारा रिपोर्ट प्रारंभ की जाएगी, इसकी समीक्षा बीट उपनिरीक्षक तत्पश्चात थाना प्रभारी द्वारा की जाएगी और रिपोर्ट एसडीएम को दी जाएगी।
जमीन आदि से सम्बन्धित विवाद के किसी प्रकरण में यदि आवश्यक हो तो उसकी समीक्षा कर 14540प्र0सं0 के अन्तर्गत रिपोर्ट 31 अक्टूबर से पूर्व अवश्य प्रेषित कर दी जाये और प्रतिदिन इसकी जानकारी जनपदीय मीडिया सेल के माध्यम से भी मीडिया को उपलब्ध करायी जाये।
मामलों को चिन्हित करते हुए समुचित सत्यापन के पश्चात सभी संबंधित पक्षों के विरुद्ध रिपोर्ट प्रत्येक दशा में 31 अक्टूबर तक एसडीएम कोर्ट में दे दी जाएगी। इसके पश्चात समस्त बीट पुलिस अधिकारी अपने बीट उपनिरीक्षक को इस आशय का प्रमाण पत्र प्रेषित करेंगे कि उनके द्वारा समस्त प्रकरणों को चिन्हित किया जा चुका है और समस्त चिन्हित प्रकरणों में 107 द0प्र0सं0 की रिपोर्ट प्रेषित करने की कार्रवाई की जा चुकी है। इसी प्रकार बीट उपनिरीक्षक द्वारा थाना प्रभारी को प्रमाण पत्र प्रेषित किया जाएगा।
प्रत्येक थाना प्रभारी अपने थाना क्षेत्र के कम से कम 20 प्रतिशत गांवों में खुद भौतिक सत्यापन कर यह सुनिश्चित करेंगे कि रिपोर्ट सही-सही दी गई है। तत्पश्चात क्षेत्राधिकारी को इस आशय का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। क्षेत्राधिकारी द्वारा पुलिस अधीक्षक को यह प्रमाण पत्र प्रेषित किया जाएगा कि उनके क्षेत्र में विवाद से संबंधित समस्त प्रकरणों को चिन्हित किया जा चुका है और रिपोर्ट भेजने की कार्रवाई पूर्ण की जा चुकी है। क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर स्वयं इसका सत्यापन करेंगे एवं क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक स्वयं प्रतिदिन कम-से-कम एक थाने पर जाकर यह समीक्षा करेंगे कि विवाद से संबंधित समस्त प्रकरणों को चिन्हित कर सही-सही रिपोर्ट एसडीएम कोर्ट में भेज दी गई है।
इसके पश्चात सभी क्षेत्राधिकारी संबंधित एसडीएम से वार्ता कर उनके न्यायालय में चल रहे इस प्रकार के समस्त मामलों की सूची प्राप्त करेंगे जिनमें दोनों पक्षों में कशीदगी है और इन विवादों की सूची संबंधित थाने को 107/116 की कार्यवाही हेतु प्रेषित की जाएगी। यह सूची उप जिलाधिकारी के यहां से उपलब्ध कराये जाने हेतु जनपदीय पुलिस प्रभारी द्वारा जिलाधिकारी तथा परिक्षेत्रीय प्रभारी द्वारा मंडलायुक्त के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा
*31 अक्टूबर के पश्चात प्रारंभ होगा द्वितीय चरण*
एडीजी ने बताया की “ऑपरेशन 117” का द्वितीय चरण में 31 अक्टूबर के पश्चात प्रारंभ होगा। इसके अंतर्गत पुलिस द्वारा प्रेषित समस्त रिपोर्ट में एसडीएम कोर्ट से समयबद्ध करवाई करा ली जाएगी। ताकि अगले 15 दिनों में समस्त प्रकरणों की सुनवाई और निस्तारण करते हुए धारा 117 द0प्र0सं0 के अंतर्गत पाबंद करने की कार्रवाई संपन्न हो जाए। यहां यह तथ्य उल्लेखनीय है कि इस प्रकार के प्रकरणों में समयावधि 6 माह की होती है, परंतु एसडीएम कोर्ट में सुनवाई और निस्तारण के लिए प्रकरण के लंबे समय तक लंबित रहने के कारण रिपोर्ट की वैधता 6 महीने बाद स्वयं ही समाप्त हो जाती है। इस संबंध में सभी क्षेत्राधिकारी उपजिलाधिकारी के साथ, पुलिस अधीक्षक जिलाधिकारी के साथ, परिक्षेत्रीय प्रभारी मंडलायुक्त के साथ समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित कराएंगे कि प्रकरण अनावश्यक रूप से लंबित न रहें और 15 दिनों के अंदर ही सुनवाई और निस्तारण का कार्य पूर्ण हो जाए और संबंधित पक्षों को पाबंद करने का आदेश निर्गत हो जाए।
पाबंद किए जाने की धनराशि के संबंध में यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति की हैसियत के अनुसार उसे भारी से भारी धनराशि से पाबंद कराया जाए। सामान्य रूप से सभी मामलों में कम से कम 5 लाख की धनराशि से पाबंद कराया जाए। अगर संबंधित पक्ष की हैसियत इससे कम है तो उसकी हैसियत का आकलन करते हुए भारी से भारी धनराशि से पाबंद किया जाए।
विवाद से संबंधित किसी पक्ष के पास यदि लाइसेंसी असलहा है और इस विवाद के परिपेक्ष में उसके दुरुपयोग की आशंका है तो प्रकरण के निस्तारण हेतु असलहे का लाइसेंस निलंबित रखने हेतु जिलाधिकारी के यहां पुलिस द्वारा रिपोर्ट दी जाए।
उपजिलाधिकारी कोर्ट में रिपोर्ट प्रेषित करने के पश्चात 1 नवंबर से 15 नवंबर के मध्य प्रत्येक दशा में समस्त रिपोर्ट में सुनवाई और निस्तारण की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाए और 15 नवंबर तक प्रत्येक दशा में धारा 117 द0प्र0सं0 के अंतर्गत पाबंद किए जाने का आदेश निर्गत करा लिया जाए और अभियान से संबंधित की गई कार्रवाई की सूचना 15 नवंबर के पश्चात जोन कार्यालय को प्रेषित की जाए ।
पुलिस द्वारा प्रेषित की गयी इस प्रकार की समस्त रिपोर्टों में समयबद्ध निस्तारण हेतु परिक्षेत्रीय प्रभारी मण्डलायुक्त के साथ, पुलिस अधीक्षक जिलाधिकारी के साथ तथा क्षेत्राधिकारी उपजिलाधिकारी के साथ बैठक कर धारा 117 द.प्र.सं. के अंतर्गत पाबंद किए जाने का आदेश निर्गत कराना सुनिश्चित करेगें।