कुम्भ विश्लेषण : योगी सरकार की तैयारी, अफवाहों की सत्यता
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लखनऊ(निर्वाण टाइम्स)। काफी दिनों से कुम्भ को लेकर बाते चल रही हैं। सोशल मीडिया हो या विपक्ष के नेता सभी का आरोप व प्रत्यारोप जारी है।कहीं किसी ने वीवीआईपी घाट तो कही किसी ने पानी की उपलब्धता पर भी सवाल उठाए। इसी बीच मौनी अमावस्या पर भगदड़ हुई जिसमें कुछ परिवार ने अपनों को खो दिया, जो कि दुखद रहा ।लेकिन क्या ये भगदड़ सुनियोजित थी या फिर भगदड़ हुई तो कैसे इसकी जांच चल रही है। जांचोपरांत ही भगदड़ का खुलासा हो पायेगा। महाकुंभ का मतलब है, 12 साल में आने वाला कुंभ मेला। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र धार्मिक आयोजन है। महाकुंभ में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सरकार की तैयारियां सालों से की जाती है कि कुम्भ आएगा ,आने वालों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो।रोड से लेकर फ्लाईओवर बनाये गए है।योगी सरकार ने तैयारियां तो खूब की लेकिन एक भगदड़ में दाग लगा दिया। जिसके बाद मीडिया व कुछ खास तबके के लोग महाकुम्भ को बदनाम करने में लग गए।
महाकुंभ में प्रयागराज जंक्शन की सुनियोजित व्यवस्था
प्रयागराज जंक्सन आज देश का सुंदर व सुव्यवस्थित स्टेशन बन गया है ।महाकुंभ में इस स्टेशन पर किसी भी प्रकार की समस्या आमजन को नही हुई। जहां आने वाले श्रद्धालू एक तरफ से बाहर भेजे जा रहे है।
दूसरी तरफ से जाने वाले श्रद्धालू दसरी तरफ से स्टेशन के अंदर भेजे जा रहे है। रेलवे प्रशासन ने स्टेशन पर भीड़ न हो उसके लिए स्टेशन के बाहर भी टेंट लगाया गया है। टेंट के अन्दर बैठने के लिए कुर्सियां भी लगाई गई है। ट्रेन के स्टेशन आने से 30 मिनट पूर्व माइक से बताया जाता है और यात्री अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए रवाना हो सकते है। स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था बहुत ही मजबूत की गई। आरपीएफ व पुलिस लगातार यात्रियों की मदद करती नजर आई। एक तरह से कहा जाए तो रेलवे स्टेशन कम एयरपोर्ट अधिक नजर आया प्रयागराज जंक्शन।
पानी को लेकर गलत अफवाह
सरकार द्वारा व नगर निगम द्वारा जगह जगह आरओ वाटर के लिए मशीने लगाई गई ही।कुछ जगहों पर आपको वाटर टैंकर दिखाई पड़ जायेंगे।लेकिन यह जरूरी नही है कि हर 100 -200 मीटर पर आपको पीने का पानी मिल जाये। जो स्थान सरकार द्वारा निश्चित किये गए है वहां आरओ वाटर मशीन लगी है।बाकी कुछ जगहों पर वाटर टैंकर से पानी पीने को उपलब्ध है।
सरकार द्वारा की बैरिकेटिंग व्यवस्था
श्रद्धालुओं को एक तरफ से घाट के लिए भेजा जा रहा है। दूसरी तरफ से प्रस्थान की व्यवस्था भी लागू की गई है। हाँ भीड़ हद से अधिक होने पर कुछ समय के लिए समस्या उत्पन्न होती है।लेकिन यह समस्या लाजमी है। हमारे यहां 10 गाड़िया किसी चौराहे पर लग जाती है तो जाम जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह तो महाकुम्भ है।
प्रयागराज के आस पास जिलो में जाम
पूरे देश से लोग अपने वाहनों से प्रयागराज के लिए निकल पड़े। लाखो वाहन जब एक ही जगह एकत्रित होंगे तो जाम की स्थिति बनेगी। श्रद्धालू महाकुम्भ तो आ रहे है पर उनके मन मे चित्रकूट, काशी विश्वनाथ(वाराणसी), राम मंदिर अयोध्या का भी टारगेट है कि 100-200 किलोमीटर ही तो है, दर्शन हो जायेंगे। जिसकी वजह से कई जनपदो में जाम जैसी स्थिति उत्पन्न हुई। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार नजर बनाए हुए है। भाजपा व अनेको समाजिक संगठनों व निजी व्यक्तियों द्वारा जामे लगे स्थानों पर खाने पीने की व्यवस्था कर रहे है।जिससे कि जाम ग्रसित श्रद्धालुओं को खाने पीने का समान मिल जा रहा है।कई लाख गाड़िया रोड पर है तो ट्रैफिक व्यवस्था चरमराना लाजमी है। रोडे लिमिटेड ही है।
16 किलोमीटर का है संगम परिक्षेत्र
संगम का क्षेत्र 16किलोमीटर का माना जाता है। लेकिन श्रद्धालू संगम नोज में नहाने के चक्कर मे अधिक परेशान नजर आते है। जिससे भीड़ संगम नोज में बढ़ती है और श्रद्धालू समेत प्रशासन भी परेशान नजर आता है।
पैदल चलने से श्रद्धालू परेशान
लगातार 13 जनवरी 2025 से श्रद्धालुओं का आना जाना लगा हुआ है ।किसी दिन करोड़ो में तो किसी दिन लाखो में संख्या। ऐसी स्थिति में कुछ स्थानों पर गाड़ियों पर प्रतिबंध लाजमी है।भीड़ एक जगह एकत्रित न हो उसके लिए प्रशासन अपने तरीके से घाट की तरफ भेज रहा है। और जहां भीड़ इकट्ठा होती है वहाँ पैदल यात्रा ही सुगम यात्रा मानी जाती है।
भंडारों की व्यवस्था
अखाड़ो व व्यापारी, कारपोरेट जगत द्वारा कुम्भ में भंडारे की व्यवस्था की गई है।जगह जगह पर आपको भंडारे दिख जाएंगे, और श्रद्धालू भंडारे का लुफ्त भी उठा रहे है।
वीवीआईपी कल्चर व स्नान व्यवस्था
आम आदमी को वीवीआईपी कल्चर कभी भी पसंद नही आया है। जिससे जब भी कोई वीआईपी गंगा स्नान कर रहा है तो आम श्रद्धालुओं में रोष उत्त्पन्न होना आम बात है। हालांकि वीवीआईपी अपने निश्चित रूट से आ जा रहे है। प्रशासन द्वारा रूट निश्चित किया गया है। हां जब वीवीआईपी स्कॉर्ट गुजरती है तो अवश्य ही उस रूट में श्रद्धालुओं को कुछ समय के लिए समस्या का सामना करना पड़ता है।
कुम्भ परिक्षेत्र के टेंटो में आग लगना
कुम्भ क्षेत्र में लगे टेंट में आग लगने पर जिस तरह से प्रशासन ने काबू किया , ये काबिलेतारीफ है। प्रशासन की तैयारियों में कमी नजर नही आती है। क्यो यदि आग बढ़ती तो जन हानि के साथ साथ महाकुम्भ पर भी असर करती । और ऐसा नही की एक बार ऐसा हुआ। 3-4 बार आग लगी और हमेशा प्रशासन ने ततपरता पूर्वक आगे बुझाने में कामयाब रहा।
निष्कर्ष : पुलिस विभाग का सहयोग व सरकार का इंतजाम
प्रशासन व पुलिस विभाग सुनियोजित तरीके से अपना कार्य कर रहा है, जो कि प्रयागराज में अच्छी तरह से दिख भी रहा है।जहां पर करोड़ो की भीड़ इकट्ठा हो रही हो , ऐसी स्थिति में प्रशासन का कार्य सराहनीय रहा है।हांलांकि कुछ अव्यवस्था भीड़ बढ़ने पर जरूर होती है जिसको लेकर कई तरह की बाते सोशल मीडिया पर उछलती दिखती है। लेकिन प्रशासन भीड़ को सुनियोजित तरीके से संगम में अन्दर व बाहर कर रहा है जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। जिससे रोष की भावना प्रकट होती है।26 फरवरी के बाद ड्यूटी पर लगा प्रशासन चैन की नींद सो सकेगा।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हादसा
महाकुम्भ में आने के लिए आतुर श्रद्धालु नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ के शिकार हो गए। ऐसी जनहानि नई दिल्ली स्टेशन पर होना आश्चर्यजनक ही है।क्यो की नई दिल्ली स्टेशन देश की राजधानी का मुख्य स्टेशन माना जाता है।जब हर घण्टे 1500 टिकट बेचे जा रहे थे तो रेलवे व आरपीएफ को सही ढंग से मॉनिटरिंग करनी चाहिए थी। जिसमे रेलवे व आरपीएफ विफल रहा । इस घटना से सम्बंधित व मौके पर मौजूद अधिकारियों व कर्मचारियों पर रेलवे द्वारा अवश्य कार्यवाही की जानी चाहिए ।