“ओएसडी” ने अपने हिसाब से बांट दिया टिकट
कांग्रेस पार्टी की हुई विधान सभा चुनाव में करारी हार
मामूली से वोटों में सिमट गए कांग्रेस प्रत्याशी
सातवें आसमान पर है कांग्रेसियों का गुस्सा
सुल्तानपुर(विनोद पाठक)। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों की हुई “करारी” हार पर कांग्रेसियों में “रार” छिड़ गई है। कांग्रेसियों के बीच बहस छिड़ना भी लाजमी है। अधिकांश कांग्रेसी नेता हार का “ठीकरा” हाईकमान पर फोड़ रहे हैं। कांग्रेस में छिड़ी बहस कांग्रेस के ऑफिसियल ग्रुप पर वायरल हुई है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश त्रिपाठी का मत है कि पार्टी को शीर्ष नेतृत्व का “बाबू” नहीं चला सकता। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को जोड़ना पड़ेगा। वरना, आगे भी यही हाल पार्टी का हो सकता है। गौरतलब हो कि संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी प्रत्याशियों की “करारी” हार हुई है। किसी भी विधानसभा क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी सम्मानजनक वोट नहीं पा सका। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की ओर से उतारे गए उम्मीदवार पांच हजार की गिनती भी नहीं पार कर पाए। जिले में कांग्रेस पार्टी की हुई दुर्दशा पर अधिकांश पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ नेता पार्टी के निर्णय को “कोस” रहे हैं। बकायदे बयां कर रहे हैं कि शीर्ष नेतृत्व ने टिकट के बंटवारे में गंभीरता से विचार नहीं किया। यदि शीर्ष नेतृत्व गंभीरता से विचार किया होता? तो जिले में कांग्रेस की यह दुर्दशा न होती। यहां तक की संजय गांधी और राजीव गांधी के जमाने के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश त्रिपाठी का मत है कि कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव एवं यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने टिकट वितरण में जो कार्यशैली अपनाई वह पार्टी के लिए एकदम घातक सावित हुई। लगता है कि प्रियंका गांधी ने टिकट वितरण की संपूर्ण जिम्मेदारी अपने “ओएसडी” संदीप सिंह को सौंप दी थी। संदीप सिंह अच्छे बाबू हो सकते हैं, लेकिन नेता नहीं। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए फिर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को जोड़ना पड़ेगा। वरना आगे भी यही हाल कांग्रेस पार्टी का होगा। वरिष्ठ नेता हरीश त्रिपाठी ने श्रीमती सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को सुझाव दिया है कि संदीप सिंह और राष्ट्रीय नेता राजेश तिवारी के सीमा का निर्धारण करना पड़ेगा। साथ ही पूरी पार्टी की ओवरहालिंग की जरूरत है। हरीश त्रिपाठी का सीधा इशारा है कि नए सिरे से प्रदेश कमेटी और जिला कमेटी का ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ गठन हो। जिस दिन इन पहलुओं पर हाईकमान गौर कर लेगा, निश्चित तौर पर फिर से पार्टी का प्रदेश और जिले में डंका बजेगा।
संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के हुए प्रदर्शन का विवरण निम्नवत है। विधानसभा वार किस प्रत्याशी को कितना वोट मिला है। क्रमशः कादीपुर 3248,सदर 4133,सुलतानपुर 2655, इसौली 2306 और लंभुआ विधानसभा में 1930 मत ही कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को मिले हैं जो 1989 के बाद से हुए विधानसभा चुनाव में अब तक के सबसे कम कोट कांग्रेसका अंकित हुआ है जो कांग्रेस के लिए बहुत ही विचारणीय है। जिले में मिले वोटों से कांग्रेस को खुद ही सोचना होगा कि पार्टी किस पायदान पर खड़ी है।
जनपद सुलतानपुर गांधी खानदान के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां के वरिष्ठ नेता बीच की कड़ी को मानते ही नहीं हैं। सीधे तौर पर गांधी खानदान से जुड़े हैं। कांग्रेस का हर नेता सीधे तौर पर दस जनपथ से ताल्लुक रखता है। लेकिन विधानसभा के हुए चुनाव में गांधी खानदान का अति वीआईपी जिले की नींव हिल गई है। इसका कारण भी एकदम साफ है। कई कांग्रेसियों ने बयां किया कि इस बार जिले में सीधे तौर पर गांधी खानदान का हस्तक्षेप नहीं रहा। कांग्रेसियों की मानी जाए तो गांधी खानदान के “बाबू” ने इस बार जिले को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश की। जिस का रिजल्ट सबके सामने है।
संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारियों की बैठक 28 मार्च को हुई। समीक्षा बैठक में जो बात छन कर सामने आई। उससे कांग्रेसियों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। हार का सारा ठीकरा प्रियंका गांधी के ओएसडी संदीप सिंह और राजेश तिवारी पर फोड़ा गया। हर किसी नेता ने बैठक में एक ही बात कही कि मुझे राहुल और सोनिया गांधी से मिलाया जाए। सारी बातें एक-एक कर दोनों नेताओं के पास रखने का काम करूंगा। तभी कांग्रेस में मजबूती आएगी। वरना यही हाल हमेशा कांग्रेस का होता रहेगा।