भीष्म पितामह की खोज-लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के!

लखनऊ की सुभासपा बैठक में सुलतानपुर का दबदबा

मजबूत संगठन पर राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिलाध्यक्ष विनीत सिंह की खूब थपथपाई पीठ

सुलतानपुर के संपन्न हुए कार्यक्रम पार्टी के लिए बने मॉडल

पूरे प्रदेश में सुलतानपुर मॉडल लागू करना चाहती है सुभासपा

 

सुलतानपुर(विनोद पाठक)। सुभासपा के भीष्मपितमहा ने पार्टी को मजबूत करने के लिए जो कोहिनूर ढूंढा,उसके संघर्ष के दास्तां का गुणगान जिला ही नहीं,बल्कि प्रदेश में किया जा रहा है,वह भी बकायदे खुले मंच से कि जिलाध्यक्ष हो तो सुलतानपुर जैसा विनीत सिंह। जो कई विशाल रैलियां कराकर पूरे प्रदेश को चौंका दिया है। सुलतानपुर की रैली पार्टी और प्रदेश के लिए नजीर बन गई है। इस रिकॉर्ड को अभी तक किसी भी जनपद का जिलाध्यक्ष नहीं तोड़ पाया है। इसका ऐलान लखनऊ की प्रदेश स्तरीय बैठक में किया गया। जिसका गवाह पंचायती राज विभाग के मुख्यालय का सभागार बना। इस पर 1954में बनी फिल्म के गाने के रचनाकार कवि प्रदीप के शीर्षक की लाइन को याद दिलाता है। “लाए हैं हम तूफान से कश्ती निकाल के”। अर्थात प्रदेश स्तरीय खोजी पदाधिकारी की परख की सराहना जिले से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व कर रहा है,इस उपलब्धि का श्रेय केवल भीष्म पितामह जैसे शब्द से नवाजे जाने वाले प्रदेश के पदाधिकारी को ही मिलता है और मिलना भी चाहिए।
गौर तलब हो कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का सुलतानपुर जिले में कोई वजूद नहीं है। पूरी पार्टी एक ब्लॉक अखंड नगर में सिमट कर रह गई थी। राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रयास बहुत किया। कैडर वोट के पदाधिकारी को जिलाध्यक्ष बनाया। पर, सूर्य अस्त , जिलाध्यक्ष जी….। पर पार्टी लीक पर आगे नहीं खिसकी, चिंतनीय रहा।सुलतानपुर में पार्टी कैसे मजबूत हो, तेज धावक की तलाश का ताना-बाना बुना जा रहा था,इसी बीच प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी(भीष्म पितामह) ने पार्टी के लिए कोहिनूर ढूंढ निकाला। जब राष्ट्रीय नेतृत्व ने ढूंढे गए कोहिनू को जिले की बागडोर सौंपी,तो पार्टी का कोई वजूद जिले में नहीं था। लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति वाले जिला अध्यक्ष ने दूर दृष्टि,कड़ी मेहनत और पक्का इरादा का लक्ष्य रखा। इसी संकल्प के साथ कार्य करना शुरू किया तो लोग आते गए और कारवां बनता गया। रणनीति और टीमवर्क का होमवर्क रंग लाना शुरू किया तो नई दिशा मिली। पर,उस पर कार्य करना पत्थर पर दूब उगाने के बराबर था। इसकी परवाह किए बगैर एक लीक बनाई और जिलाध्य सेतुआ -पिसान लेकर चल पड़े,टोह ली तो इसे समाज पर काम करना शुरू किया कि जिसे राजनैतिक पार्टियां नजरंदाज कर रही थीं। पूरे जिले का सर्वे कराया, सारी झिझक छोड़कर उसी भेष में जिलाध्यक्ष रम गए। गांवों में पंचायत चौपाल लगाई। खान पान में शिरकत की। इसे समाज (बारा – बंजारा) घुमंतू को लगा कि मेरे समाज को आगे बढ़ाने वाला नेता मिल गया है तो पूरा विमुक्त समाज पीछे हो लिया। राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिलाध्यक्ष के ताकत की परख को समझने के लिए एक ऐसा कार्यक्रम कराने का ऐलान कर दिया,तारीख बीते 6 मार्च की मुकर्रर कर दी,जो आजाद भारत के बाद जिले में कभी भी नहीं हुआ था। जिलाध्यक्ष विनीत सिंह ने चुनौती को स्वीकार किया। पूरी टीम के साथ लग गए। आखिरी तक राष्ट्रीय नेतृत्व को विश्वास नहीं पड़ रहा था कि ऐसा भी हो सकता है। लेकिन जब निर्धारित तिथि के बारा,बंजारा (घुमंतू, विमुक्त जाति) विशाल महा रैली के समारोह में राष्ट्रीय अध्यक्ष/सूबे के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर और उनके पुत्र राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव डॉ अरविंद राजभर पहुंचे तो आंखे खुली की खुली रह गईं। पार्टी का प्रदेश में यह पहला प्रयोग था,जो बहुत ही सफल रहा। पिता-पुत्र भीड़ देख कर खूब दहाड़े। जिलाध्यक्ष की खूब पीठ थपथपाई। पार्टी के जिला मुखिया के नाम के आगे मंत्री ने बारा शब्द जोड़ दिया। रैली की खूब सराहना की गई। रैली की आवाज जिला ही नहीं प्रदेश के रास्ते दिल्ली तक पहुंची। राष्ट्रीय नेतृत्व के हौफे दौफे में चारचाँद लगा। यहीं से सुभासपा को प्रदेश में राजनीति करने को एक और नई दिशा मिल गई। बीच बीच में शीर्ष नेतृत्व जिलाध्यक्ष की परीक्षा लेता रहा,उस पर खरे उतरते गए। अभी कुछ दिन पूर्व इसौली के वलीपुर की बाजार में विषम परिस्थितियों में ही विशाल महा रैली की सफलता की गूंज पार्टी में कम नहीं ही है। 17 अक्टूबर को लखनऊ की संपन्न हुई प्रदेश स्तरीय बैठक में भी खुल मंच से जिक्र किया गया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने ऐलान किया और जिलाध्यक्ष विनीत सिंह को स्टैंड अप कराया। कहा कि प्रदेश के 75 जिलों में सबसे मजबूत संगठन है तो सुलतानपुर के अध्यक्ष विनीत सिंह का। बरसात में भी सफल कार्यक्रम कराया। जितनी तारीफ की जाए कम है। सुलतानपुर जिलाध्यक्ष की ऐसे मौके पर प्रशंसा की गई है, जब सूबे के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर मंच पर आसीन थे। यह सुलतानपुर के लिए पार्टी में गर्व की बात है,इसका पूरा श्रेय जिलाध्यक्ष अपनी पूरी टीम देते हैं। पार्टी में सुलतानपुर के होने वाले कार्यक्रम पूरे प्रदेश में मॉडल बनते जा रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष अखिलेश शर्मा जिन्हें पार्टी में भीष्म पितामह जैसे शब्द से नवाजे हैं की परख को पदाधिकारी दाद देते हैं। फिर वही फिल्म की कुछ लाइने बरबस याद आ जाती है।दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता,मंजिल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता, भटका न दे कोई तुम्हे धोखे में डालके…..। एक नेक सलाह भी की सावधान भी रहना है….। फिलहाल कई ऐसे मौके आए,जहां पर सुलतानपुर के मजबूत संगठन और जिलाध्यक्ष विनीत सिंह के द्वारा किए गए कार्यक्रमों की सरहाना राष्ट्रीय नेतृत्व कर चुका है।