बिहार : सुरक्षा बनाम शिक्षा
सुरक्षा बनाम शिक्षा
निर्वाण पाण्डेय
बिहार राज्य जो कि सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार का राज्य है ,जहां नीतीश कुमार 2 दशक से सुशासन करते आ रहे है। कहने को तो नीतीश बाबू को सुशासन बाबू का टैग मिला , जिस पर कही न कही नीतीश कुमार खरे भी उतरे। बिहार जंगलराज के रूप में जाना जाता था । पर क्या बिहार जंगलराज से बाहर आया इस पर प्रश्न चिन्ह अवश्य लग जाता है। जिस राज्य में शिक्षा व सुरक्षा पर बिहार का जनमानस ही प्रश्न उठाता आ रहा है , उस राज्य के लिए सुशासन का होना बहुत ही आवश्यक है। एक तरफ जहां शिक्षा व्यवस्था सुधार के लिए नीतीश सरकार जोर आजमाइश लगा रही है।महिलाओं को अधिकतम शिक्षा व्यवस्था में नौकरियां भी दी जा रही है। स्कूलो को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग के पदाधिकारी भी खूब जोर आजमाइश करते देखे जा रहे है। क्या यह सुधार 1 दिन में किया जा सकता है, तो प्रश्न का उत्तर मिलता है नहीं, लेकिन बिहार का शिक्षा विभाग कई वर्षों का सुधार जल्दबाजी में करना चाह रहा है । एक कहावत है ‘ जल्दी का काम शैतान का ‘ यह कहावत शिक्षा विभाग और नीतीश सरकार पर एकदम सटीक बैठती है। एक तरफ से शिक्षा विभाग ने स्कूलो का समय सुबह 9 से सायं 5 बजे कर रखा है। बस यही बात खटक रही है। कि शिक्षा विभाग सुधारने के चक्कर मे नीतीश बाबू व शिक्षा विभाग बिहार की सुरक्षा व्यवस्था भूल गया ! जिस राज्य के कई जिलों में सायं 6 बजे के बाद बसे न चलती हो , ऑटो रिक्शा न चलते हो, दुकानें बंद हो जाती हो, वहां की छात्राएं व अध्यापिका 5 बजे के बाद घर जाते समय सुरक्षित होंगी ,यह प्रश्न चिन्ह अवश्य बन रहा है। कही स्कूलो में घुस कर छात्राओं व अध्यापिकाओं को छेड़ा गया, तो कही घर लौटते समय छेड़ा गया। शनिवार की घटना सारण जनपद के सोनपुर इलाके में एक ट्रेनी अध्यापिका ई- रिक्शे से घर जा रही थी, रास्ते में बाइक सवारों ने मोबाइल छीन लिया। शिक्षिका थाने पहुँची तो एफआईआर दर्ज करने में आना -कानी की गई। यह सब देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल अवश्य खड़े हो रहे है।बहुत से बुद्धजीवी स्कूलो का संचालन समय सायं 5 बजे को सही ठहरा रहे है ।उपरोक्त संदर्भ को देखते हुए क्या सुरक्षा भी है यह सोचना जरूरी हो गया है।क्यो की अध्यापन कार्य व विभागीय कार्य मे अंतर अवश्य होता है।कार्यालय नगरीय या शहरी क्षेत्र में होंते है, जो सुरक्षा की दृष्टिकोण से सुरक्षित माने जाते है। लेकिन क्या ग्रामीण क्षेत्र उस हिसाब से सुरक्षित है, इसका जवाब सभी को पता है, लेकिन आवाज उठाते समय जुबान दब जाती है। बिहार की शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई थी उसमें सुधार तो आवश्यक है लेकिन साथ मे सुरक्षा भी उतना ही जरूरी है। शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए सुरक्षित माहौल की भी आवश्यकता है। बिहार में अब बीजेपी व जदयू की गठबंधन सरकार है।ऐसा नही है कि ये सारे सवाल नीतीश बाबू से होंगे , जनता चुनाव में दोनो से हिसाब मांगेगी। क्यो की आज के समय मे शिक्षा ,स्वास्थ्य , सुरक्षा ,रोजगार ही किसी राज्य व देश के विकास में भागीदार होते है। सुरक्षा व्यवस्था तो बिहार में सुधरने का नाम नही ले रही है।आये दिन अध्यापिकाओं व छात्राओं के साथ छेड़छाड़ होती है। ऐसे माहौल में बिहार राज्य का आम मानस खुद को कहा तक सुरक्षित महसूस करता होगा ,यह सोचनीय है। अपने मन मे यह सवाल लिए हर बाप, हर भाई यह सोचता होगा कि मेरी बेटी स्कूल गई है, सुरक्षित लौटेगी ? क्यो की यदि कोई घटना हो जा जाती है तो पहले परिजन इज्जत, बेज्जती से डरते है कि नाम खराब हो जाएगा, बिटिया या बहन की शादी कैसे होगी। उन्ही में से कुछ इस डर से बाहर आकर थाने पर जाने की हिम्मत कर जाते है तो थाने की पुलिस का बर्ताव घर लौटने को मजबूर कर देता है। जहां सुरक्षा व्यवस्था तार- तार हो जाती है।पीड़ित और पुलिस में जब तक सामंजस नही बैठेगा, पुलिस अपनी कार्य शैली में सुधार नही करेगी तब तक शिक्षा भी बिहार के बच्चो से दूर रहेगी। कही न कही शिक्षा बनाम सुरक्षा एक दूसरे के पूरक है। जिस पर राज्य की सरकारों व प्रशासनिक अमले को जागने की आवश्यकता है।एनसीआरबी रिपोर्ट 2023 में बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर 33.5 है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है, लेकिन इसके बावजूद, यह वाणिज्यिक राज्यों में है।महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर वाले पांच राज्यों में हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान, ओडिशा और आंध्र प्रदेश शामिल रहे हैं।बच्चों के खिलाफ अपराध दर में बिहार का स्थान 17.1 है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है, लेकिन इसमें भी अगले पांच राज्यों में कमी है।इस दौरान, सिक्किम, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और केरल सबसे अधिक बच्चों के खिलाफ अपराध दर के मामले रिपोर्ट किए गए हैं।शिक्षा में सुधार से बाल यौन शोषण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने से सामाजिक चुप्पी की प्रथा खत्म हुई है। बाल यौन शोषण के बारे में खुली बातचीत को प्रोत्साहित करने और बगैर किसी डर के बोलने से दुर्व्यवहार के खिलाफ अधिक रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनी आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के लिए सुरक्षात्मक उपाय, बाल संरक्षण सुनिश्चित करने वाले मजबूत कानून बनाना इस संबंध में आवश्यक कदम है।बिहार में कुल ग्रामीण साक्षरता दर 43.9% है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में पुरुष और महिला साक्षरता दर क्रमशः 57.1 और 29.6 है। कुल शहरी साक्षरता दर 71.9 है। बिहार के शहरी क्षेत्रों में पुरुष और महिला साक्षरता दर क्रमशः 79.9 और 62.6 है।महिलाओं के साक्षरता दर में कमी के दो कारण अशिक्षा व सुरक्षा ही है।जो एक दूसरे के पूरक है। शिक्षा व सुरक्षा मजबूत होने से ही बिहार सुरक्षित होगा।