
“माया” की कृपा से बच निकलते हैं ऐसे भितरघाटी नेता
सुलतानपुर(विनोद पाठक)। भाजपा के नव नियुक्त जिलाध्यक्ष के लिए इसौली में पार्टी के भितरघातियों से लड़ना आसान नही? इसौली विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे “कपटी” नेता हैं, जिनकी पार्टी के अंदर “दोहरी”) चाल से भाजपा चुनाव जीतते-जीतते रह जा रही है। भितरघाती किस्म के नेताओं की पहचान होने के बावजूद उन पर कार्रवाई न होने के कारण पार्टी “इसौली” में उबर नहीं पा रही है। नतीजतन इसका प्रभाव लोकसभा के चुनाव पर भी पड़ा। विपक्षी पार्टी के जीत का अंतर इसौली विधानसभा में सबसे ज्यादा रहा।
बताते चलें कि जिले की नई इसौली विधान सभा की सीट भाजपा के लिए हर चुनाव में चुनौती पूर्ण रहती है। पार्टी दो बार से मजबूत उम्मीदवार भी दे रही है। बावजूद इसके पार्टी चुनाव जीतते-जीतते रह जा रही है। वह भी बहुत कम अंतर से। हार की वजह भी एकदम साफ है। यहां पर बहुतेरे नेता भी हैं और मजबूत भी। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जो शीर्ष नेतृत्व के निर्णय को नही स्वीकार करते। चुनाव के दरम्यान दोहरी चाल चलते हैं। यानि कि मुंह मा राम-राम बगल मा छुरी की नीति अपनाते हैं। यही वजह है कि इसौली में मजबूत भाजपा का विधायक कई बार से नही बन पा रहा है। भितरघात के चलते चुनाव भाजपा हार जा रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में यही हाल हुआ। कई नेताओ को ऐसा लग रहा था कि इस बार प्रदेश में योगी बाबा(भाजपा) की सरकार नही बन पाएगी तो उल्टा “जाप” करना शुरू कर दिया। अपने आपको बचाने के लिए। कई की पोल-पट्टी खुल गई,कई नेताओं की खुलते-खुलते बच गई। लेकिन पार्टी की “लोटिया” डुबोकर ही माने। पार्टी प्रत्याशी ने सारे वाकये से शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराया। जांच-पड़ताल भी खूब हुई। पर,कई जिम्मेदार नेता “माया” के सामने नतमस्तक हो गए। भितरघात पर कार्रवाई करने के नाम पर सिफर रहा। मंच से बयां किया गया, प्रेसवार्ता में भी मुद्दा उठाया गया तो बड़े साहब यानी की जिला प्रभारी शंकर लाल गिरी ने बताया कि भितरघातियों को पूरा जिला जान रहा है। पार्टी के अंदर बैठे ऐसे नेताओं का सामाजिक बहिष्कार जनता कर दे। अब सवाल उठता है कि जब सारी जानकारी बड़े नेताओं को थी तो ऐसे विश्वास घातियों को क्यों बख्शा गया। जो पार्टी के लिए नासूर बन हुए हैं। इसौली में भाजपा ईवीएम में 116 मत से और मतपत्र में 153 मतों से (269) चुनाव हार गई।अब नए जिलाध्यक्ष सुशील त्रिपाठी बने हैं। उनका बयान भी आ गया है कि जिले की पांचों सीट भाजपा की झोली में डाल देंगे,जो उनके और पार्टी के लिए आसान नही है, इसौली में जीत एक चुनौती बन गईं है। भाजपा को इसौली में खतरा भद्र परिवार से नही है, खतरा नही,पार्टी के लिए खतरनाक है तो भाजपा के अंदर मौजूद दो मुंहा नेता। जो चुनाव के समय दोहरी चाल में चलते हैं, जो आदतन है। इनसे नव नियुक्त भाजपा जिलाध्यक्ष कैसे लड़ेंगे,यह तो समय ही बताएगा,यह बयान से भी नही तय होगा? यदि समय रहते शीर्ष नेतृत्व गंभीर नही होगा तो यहां का चुनाव कभी भी परिणाम में नही बदलेगा। खैर,जिले के नव नियुक्त जिलाध्यक्ष से पार्टी के नेता बड़ी उम्मीद पाल बैठे हैं कि पार्टी बहुत ही मजबूत होगी, इसमें कोई संदेह भी नहीं!फिलहाल नए जिलाध्यक्ष सुशील त्रिपाठी को बधाई देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।