पूर्व सांसद जयभद्र सिंह का 70 साल की उम्र में निधन

1999 में बसपा से हुए थे सांसद

सपा कंडीडेट को किया था पराजित,एक ही बार बसपा थी जीती

सुल्तानपुर(ब्यूरो)। बसपा से पूर्व सांसद रहे जयभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया। 70 वर्षीय श्री सिंह जिले के धनपतगंज ब्लॉक अंतर्गत मायंग के मूल निवासी थे। शनिवार को उनका पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूर्व सांसद स्व. जयभद्र सिंह का जन्म 1 जनवरी 1953 में बल्दीराय तहसील क्षेत्र के धनपतगंज ब्लॉक अंतर्गत मांयग गांव में हुआ था। मौजूदा समय में सपरिवार वाराणसी में रहते थे। उनके निधन का समाचार मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। काफी संख्या में शोकसंवेदना जताने के लिये लोग उनके पैतृक आवास मायंग में जमा हुए हैं। इनके पिता रणभद्र सिंह थे। माता का नाम कमला देवी था। जय भद्रसिंह 1999 से 2000 तक रेलवे समिति के सदस्य रहे। इनकी शादी आशा सिंह से 6 जुलाई 1973 को हुई थी। इनके तीन पुत्र हैं। जयभद्र सिंह की विरासत उनके बेटे मणिभद्र सिंह, शशिभद्र सिंह व रविभद्र सिंह संभाल रहे हैं। इनके पास शिक्षण संस्थान व पेट्रोल पंप, वाहन एजेंसी, गैस एजेंसी का कारोबार है। जय भद्रसिंह का अंतिम संस्कार मयांग गांव में शनिवार को किया जाएगा।बता दें कि जयभद्र सिंह ने राम लहर के फौरन बाद वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में बसपा का परचम लहराया था। यही पहला और आखरी मौका था जब बसपा ने सुल्तानपुर में विजय जीत का पताका लगाया था। उनके सामने इंदिरा गांधी परिवार की संबंधी दीपा कौल कांग्रेस की प्रत्याशी बनीं थी। उस चुनाव में भाजपा ने प्रदेश के कद्दावर नेता सत्यदेव सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया था और भाजपा लड़ाई से बाहर हो गई। बसपा के जयभद्र सिंह ने सपा के उम्मीदवार रामलखन वर्मा को पराजित कर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में दीपा कौल चौथे स्थान पर थी। निर्दल उम्मीदवार पूर्व विधायक पवन पांडेय तीसरे स्थान पर रहे थे।आपको बता दें कि जयभद्र सिंह इसौली के पूर्व विधायक स्व. इंद्रभद्र सिंह के चचेरे भाई हैं। इसौली से दो बार के पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू और धनपतगंज के ब्लॉक प्रमुख रहे यशभद्र सिंह मोनू के चचेरे चाचा हैं। जयभद्र सिंह के पुत्र मणिभद्र सिंह वर्ष 2009 के इसौली से उप चुनाव में सपा से चुनाव लड़े और तीसरे स्थान पर रहे। मौजूदा समय में वे भाजपा से जुड़े हैं।