नई दिल्ली(एजेंसी)।ब्रिटेन की नामी दवा कंपनी ग्लैक्सो दुनियाभर के लोगों में अल्सर और गैस से राहत दिलाने के नाम पर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ाती रही। 1978 में कंपनी ने रेनिटिडिन नामक अणु का विकास किया। उसके इस्तेमाल से कंपनी ने उस समय की प्रभावशाली दवा टैगामेंट की नकल कर जेनटेक बनाई। देखते ही देखते इस दवा ने टैगामेंट को पीछे छोड़ दिया और कंपनी की कमाई का बड़ा हिस्सा बन गई। इतना ही नहीं, इस दवा की वजह से कंपनी के सीईओ को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से नाइटहुड की उपाधि मिली।कमाई के चक्कर में कंपनी ने जेनटेक से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के संभावित खतरे से दुनिया को अंधेरे में रखा। ग्लैक्सो ने कहा था कि उसकी गैस की दवा से ट्यूमर नहीं होता, लेकिन उसके अपने वैज्ञानिकों और स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने संभावित खतरे को लेकर चेतावनी दी थी। वर्ष 2019 में जेनटेक में कार्सिनोजेन की उच्च मात्रा पाई गई।
कार्सिनोजेन एक ऐसा पदार्थ है जो कैंसर का कारण बनता है। दवा के कुछ बैचों में संयोग या गलती से कार्सिनोजेन की उच्च मात्रा नहीं पाई गई थी, बल्कि जिस रेनिटिडिन अणु से यह दवा तैयार की जाती थी वही कैंसर पैदा करने वाला जहर बनाता है।
कंपनी ने बाजार से दवा वापस मंगाई
यह सच्चाई सामने आने के बाद कंपनी और स्वास्थ्य नियामकों को 2020 में दवा को बाजार से वापस मंगाने पर मजबूर होना पड़ा। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी इसकी बिक्री पर रोक लगा दी। इसके उत्पादन और उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई।
कार्सिनोजेन को एनडीएमए भी कहा जाता है, जिसका कभी रॉकेट के ईंधन में मिलाया जाता था। अब इसका इस्तेमाल सिर्फ प्रयोगशालाओं में कैंसर पर शोध के लिए चूहों पर किया जाता है।
अमेरिका में जेनटेक या इसके जेनरिक स्वरूप का इस्तेमाल करने वाले 70,000 से ज्यादा लोगों ने कंपनी पर मुकदमा किया है। लोगों ने कंपनी पर मिलावटी और खतरनाक दवा बेचने का आरोप लगाया है, जिसकी सुनवाई इसी महीने के अंत से शुरू होने वाली है।