मध्यप्रदेश एक ऐसा तीर्थ स्थल जहां कालभैरव का प्रसाद है मंदिर
उज्जैन काल भैरव के साथ फर्नाजी काल भैरव का दर्शन है सबसे महत्वपूर्ण
नागदा से 18 किलोमीटर दूर स्थित है मंदिर फर्नाजी
विनय कुमार त्रिपाठी की कलम से✒️
मध्यप्रदेश। जी हां हमने आपको हमेशा अपने दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से ऐसे तीर्थ स्थल की जानकारी देने के साथ ,अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग देवी देवताओं की उनकी मान्यताएं बताई व दिखाई भी। जिस क्रम में आज मैं आपको उस तीर्थ स्थल की जानकारी दे रहा हु ,जहां काल भैरव का मुख्य प्रसाद है मदिरा उज्जैन के कालभैरव की तरह ही यहां श्रद्धालुओं द्वारा मदिरा का भोग लगाया जाता है।
सबसे खास बात यह है कि भोग लगाते समय मदिरा की बदबू समाप्त हो जाती है। भोग लगाने पर यह मदिरा कहा चली जाती है, यह आज भी रहस्य बना हुआ है।दीपावली के बाद इस मंदिर पर 11 दिन का मेला लगता है।यहां दूर दूर से लोग फर्नाजी के दर्शन के लिए आते है।
आपको बताते चले कि मध्यप्रदेश में नागदा(जंक्शन) सिटी जो कि बिड़ला इंड्रस्टीयल एरिया की वजह से प्रसीद्ध है। यहां से 18 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम फर्नाखेरी के समीप ही श्री देवनारायण भेरू जी मंदिर है, जहां एक ही प्रतिमा पर आपको गोरा और काला भेरू जी विराजित है।इसलिए इस प्रतिमा का महत्व अधिक है। मंदिर के पुजारी व वहां वर्षो से रहने वाले स्थानिय लोगों से बात करने पर हमें पता चला कि संवत 1131में इसकी नींव रखी गई थी और 1136 में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ था।तबसे लेकर आज तक अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के साथ दर्शन को लोग आते है फर्नाजी।एक मुख्य विषय पर आपका हम ध्यान ले चलते है, इस बावड़ी की पानी को लोग”नवप्रसूता” के लिए लोग चमत्कारिक मानते है।ऐसी मान्यता है कि नवप्रसूता के लिए बावड़ी का पानी एक औषधी है।इसलिए दूरदराज से लोग इस बावड़ी का पानी लेने आते है।
देव लोक में पूजे जाते है श्री देवनारायण
मंदिरों के सेवकों के कहना है कि लोकदेवता श्रीदेवनारायण जी जे यहां विश्राम किया था।आज भी श्री देवनारायण की गद्दी भी है।आपको बताते चले कि मध्यप्रदेश, राजस्थान के अलावा अन्य शहरों से भी लोग यहां दर्शन करने आते रहते है।वही इस सड़क के सामने दूसरी ओर साडू माता का मंदिर और बावड़ी भी बनी हुई है जिस बावड़ी के पानी (औषधी) के बारे में हमने ऊपर आपको जानकारी भी दी है। मान्यता है कि जब अंग्रेजो द्वारा ट्रेन की पटरी बनाई जा रही थी तो यह मंदिर बीचों बीच मे आने के कारण इसे रात तोड़ा गया था औऱ मंदिर की टूटी दीवारों को दूसरी तरफ कर दिया गया था जिससे अंग्रेजो द्वारा रेल पटरी बनाई जा रही थी उसमें उनको रुकावट न हो।पर अगले ही दिन जब काम शुरू हुआ तो यह देख सभी अचंभित रह गए कि जो मंदिर रात टूटी हुई थी वह वैसे ही बीचों बीच कैसे खड़ी हो गई-?
अंग्रेजो द्वारा उस मंदिर को हटाने का यह प्रयत्न कई दिन चला पर अगली सुबह मंदिर सजा धजा व वैसे ही निर्मित खड़ा दिखता ,जिससे अंत मे हार कर उनको रेल पटरी को दूसरी तरफ से मोड़कर ले जाना पड़ा। जिसे श्री देवनारायण व कालभैरव जी का चमत्कार व आशीर्वाद बताते है।व तभी से यहां भक्तों की संख्या आने जाने वालों की बढ़ती गई और उनकी हर मुरादों को कहते है सच्चे मन से मांगने पर कालभैरव अवश्य पूरा करते है।
निर्वाण टाइम्स से मैं विनय त्रिपाठी जल्द मिलूंगा धार्मिक स्टोरी में पुनः, ऐसे ही मंदिरों व तीर्थ स्थल की जानकारी के साथ जिससे आपको धार्मिक स्थलों की और भी जानकारियां मिलती रहे।