जीवात्मा और परमात्मा का मिलन है महारास

गोरखपुर। नाहरपुर काली माता मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के षष्टम दिवस की कथा में पूज्य पाद ब्यास श्री मनोज चमोली जी महाराज बद्रीनाथ धाम वालों ने कथा के मध्य में गोपियों के साथ भगवान के महा रास लीला का वर्णन करते हुए कहा कि जब जीवात्मा के अज्ञान का नाश होता है और उसे आत्मा का बोध होता है तब जीव और ईश्वर का विशुद्ध मिलन होता है जीव और ईश्वर के मिलन को ही महा रास कहा जाता है भगवान किसी स्त्री के साथ में नहीं नाचे भगवान तो जो वेद के मंत्र दंडकारण्य वन महात्मा गोपियों का वेश धारण करके ब्रज मंडल में आए थे उन सब विशुद्ध आत्मा रूपी गोपियों के साथ में रास करते हैं व्यास जी ने कंस वध का प्रसंग सरवन करवाते हुए कहा कि जब पाप का घड़ा भर जाता है तो उसका फूटना निश्चित है गोपी उद्धव संवाद में व्यास ने कहा कि हमें ज्ञान हो ना हो उसकी कोई मान्यता नहीं किंतु हमारे अंदर परमात्मा की भक्ति हो तो हम ज्ञानी भी हैं और भक्त भी हैं और केवल ज्ञान हो और भगवान का प्रेम रूपी भक्ति ना हो तो हमारा ज्ञान अधूरा है इसलिए ज्ञान प्राप्त करने से पहले हमको भक्ति की प्राप्ति करनी चाहिए कथा के अंत में भगवान श्री द्वारिकाधीश कृष्ण और महा रुक्मणी के विवाह का सुंदर वर्णन करते हुए दिव्य दिव्य झांकियों का दर्शन करते हुए भक्तों आनंद विभोर हो गए इस अवसर पर श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ में पूज्य आचार्य श्री जगमोहन मिश्र ऋषिकेश वालों ने समस्त नगरवासी एवं विश्व कल्याण की कामना से यज्ञ में आहुति अर्पित करवाई साथ में हुए विद्वान आचार्य में श्री वेद प्रकाश शर्मा गीताराम चमोली शंभू उपाध्याय मनोज घनशाला कृष्णानंद विनीत हिमांशु गोविंद पंडित मनमोहन मिश्र आदि मौजूद रहे।