गोरखपुर(हिमांशु श्रीवास्तव)। नस, हड्डी और जोड़ों संबंधी बीमारियों की चिकित्सा में फिजियोथेरेपी की भूमिका अब काफी बढ़ गई है। फिजियोथेरेपी की सहायता से अब बिना किसी साइड इफेक्ट के जोड़ों के जानलेवा दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। हड्डी और नस संबंधी दर्द से परेशान लोगों को दवा खाने के बजाय एक बार फिजियोथेरेपिस्ट का सहारा जरूर लेना चाहिए। दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए अन्य विधाएं भी हैं जो बिना दवा के ही दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथेरेपी ऐसी ही एक विधा है। मेडिकल साइंस में फिजिकल थेरेपी से मशहूर इस विधा में रोगों का उपचार एक्सरसाइज , इलेक्ट्रोथेरपी व दर्द निवारक मूवमेंट के द्वारा किया जाता है।
आमतौर पर लोगों को लगता है कि फिजियोथेरेपी सिर्फ खिलाडिय़ों के लिए होती है लेकिन सच यह है कि इस थेरेपी का लाभ कोई भी ले सकता है। इससे जोड़ों और हड्डियों को तो लाभ मिलता ही है हृदय व मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। उन्होंने बताया कि फिजियोथेरेपी से सर्वाइकल स्पॉनडिलाइटिस, लम्बर स्पॉनडिलाइटिस, प्रोलैपस्ड इनवर्टिब्रल डिस्क, पेरिआर्थराइटिस ऑफ शोल्डर ज्वाइंट, फ्रोजन शेल्डर, ऑस्टियो आर्थराइटिस ऑफ नी ज्वाइंट, गठिया, बेल्स पॉल्सी, लकवा , कार्डियोपल्मोनरी व हड्डी , जोड़ व नसों से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है। इससे मांसपेशियों में लचीलापन आता है और शक्ति मिलती है।
फिजियोथेरेपी में उपयोग होने वाले सभी व्यायाम आसान होते हैं और इनका चुनाव रोगी की स्थिति और उम्र को देखकर किया जाता है। इसके अलावा सेरिब्रल्लपल्सि यानी समय से पूर्व जन्में बच्चों के शारीरिक विकास में आने वाली बाधा को भी इसकी सहायता से दूर किया जा सकता है। साथ ही 40 साल के बाद महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन से घुटना, कमर व गर्दन का दर्द होना स्वाभाविक है जो इस थेरेपी से दूर होता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। जीवन शैली में थोड़ा बदलाव व खान-पान को नियंत्रित कर ऐसी समस्याओं से सरलता से निपटा जा सकता है।