
नाहरपुर/गोरखपुर(विनय तिवारी)। श्रीमद् भागवत कथा की विश्राम दिवस कथावाचक परम श्रद्धेय श्री मनोज शास्त्री जी महाराज बद्रीनाथ वालों ने कहा की श्रीमद् भागवत सारे पुराणों का शास्त्रों का और वेदों का सार है जो अपने जीवन काल में ध्यान से एक बार भागवत को श्रवण करता है उसको आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और इसका उदाहरण श्रीमद् भागवत जी ने राजा परीक्षित जिन्होंने शुक्रताल में श्री सुखदेव जी के मुख से इस रस का पान किया और सदा सदा के लिए अमर हो गए सप्तम दिवस में क्या जी ने सुदामा चरित्र का व्याख्यान करते हुए कहा कि जब तक मनुष्य के जीवन में संतुष्टि नहीं होगी तब तक वह भगवान का सगा नहीं बन सकता जब संतोष रूपी धन आ जाता है अब जैसे भगवान ने सुदामा को अपनाया ऐसे ही भगवान जीवात्मा को अपना लेते हैं सुदामा जैसा त्याग यदि जीवन में हो तो निश्चित समझ लेना कि भगवान हमको भी अपना बना लेंगे भागवत के 10 लक्षणों का निरूपण और संक्षिप्त में संपूर्ण भागवत का सार तत्व है मैं भक्तों ने श्रवण किया और इसी के साथ 7 दिन से चली आ रही है श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम हो गया इस अवसर पर श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ मैं पूज्य आचार्य श्री जगमोहन मिश्र ऋषिकेश वालों ने संपूर्ण देवी देवताओं के सहित भगवान नारायण और महालक्ष्मी जी वैदिक मंत्रों से यज्ञ संपन्न करवाया। इस अवसर पर था पंडित श्री वेद प्रकाश शर्मा,पंडित गीताराम पंडित, शंभू उपाध्याय, पंडित कृष्णानंद ,पंडित गोविंद शर्मा, मनोज, हिमांशु ,विनीत मनमोहन मिश्र, आदि आचार्य उपस्थित रहे।