
इस बार भी कार्यकर्ताओं को खल रहा अपनी बात रख पाने का अवसर न मिलना
अमेठी(ब्यूरो)। दरक चुके अपने गढ़ अमेठी को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी 18 को अमेठी आएंगे। लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद दूसरी बार राहुल का आगमन होगा। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गईं हैं। इसी के तहत उत्तर प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय सचिव तीन दिन पूर्व पहुंच कर अलग अलग पार्टी जनों के साथ बैठक कर नब्ज टटोला है।
कांग्रेस की गढ़ कही जाने वाली अमेठी का वहम वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में टूट गया था। केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी ने लगभग 51 हजार मतों से राहुल को पराजित कर अमेठी की सांसद बनने में सफल रहीं। चुनाव परिणाम आने के कुछ दिन बाद राहुल गांधी अमेठी आकर मायूस लोगों को आस बंधाया था। इसके पूर्व भी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को अमेठी में एक भी सीट न मिलने से करारा झटका लगा था। गौरीगंज विधान सभा में सपा प्रयाशी राकेश सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार मो. नईम को लगभग 21 हजार मतों से हरा दिया था। भाजपा उम्मीदवार रहे जिला अध्यक्ष उमा शंकर पांडेय तीसरे स्थान पर रहे। अन्य तीन विधानसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही अपने किले को एक बार फिर अभेद्य बनाने के लिए राहुल गांधी संभावित 18 दिसंबर को अमेठी आ रहें है। वे लखनऊ मार्ग से जगदीशपुर पहुंचकर रामलीला मैदान से लेकर हारीमऊ तक साढ़े सात किमी की पदयात्रा के बाद हारीमऊ में एक जनसभा को सम्बोधित करेंगे और उसके बाद वापस लौट जाएंगे। उनके साथ प्रियंका वाड्रा भी होंगी। पहले उनके दो दिन के दौरे की सूचना, केंद्रीय कार्यालय गौरीगंज में रात्रि विश्राम व कार्यकर्ताओं से संवाद की सूचना आई तो जहाँ एक ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह व उत्सुकता दिखी वहीं विरोधियों के चेहरों पर दबाव की लकीरें लेकिन अंतिम रूप से कार्यक्रम की सूचना मिलते ही कांग्रेसियों में मायूसी के साथ फीका पड़ता उत्साह साफ झलकता दिखने लगा है। कार्यकर्ताओं को एक बार फिर पुराने ढर्रे की कांग्रेसी मानसिकता और नेता से अपनी बात न रख पाने मजबूरी से रूबरू होना पड़ रहा है। फ़िलहाल राजीव-प्रियंका की पदयात्रा व जनसभा में उनके विचार सुनने के पूर्व कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के बीच बनाई जा रही यह दूरी अच्छे परिणाम के संकेत नहीं देती।