आस्था के नाम पर राजनीति “चमकाने” की कवायद
नियत समय से करीब 50 मिनट विलंब से पहुंचे “नेताजी”
सुलतानपुर(ब्यूरो)। अब दौर बदल गया है,तौर तरीके भी बदल गए हैं, इससे न तो मीडिया अछूती है और न राजनीति। डेढ़-दो दशक पहले राजनीति करने वाला व्यक्ति पत्रकार बंधुओं का इंतजार करते थे। पर, अब उसका उल्टा हो गया है। अब पत्रकार भाई राजनैतिक व्यक्ति का इंतजार करते हैं। ऐसा ही कुछ आज मीडिया बंधुओं के सामने गुजरा। नेताजी कहें या फिर समाज सेवी। इनकी एक रेस्टोरेंट में में प्रेस वार्ता आयोजित की गई थी। धर्म की आस्था में डुबकी लगाने की। समय भी नियत किया गया था, वह भी सुबह 10 बजे का। बड़े नेता-समाज सेवी की प्रेस थी तो सब को आमंत्रित किया गया था,जिसमे प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक, श्रवण, सोशल मीडिया आदि के पत्रकार बड़ी संख्या में समय से पहुंचे। पर, जिनकी प्रेस रही वही नदारद रहे। पत्रकार समय को लेकर कुछ टीका-टिप्पणी न कर पाएं,इसके लिए जलपान की तगड़ी व्यवस्था गई। समय की रफ्तार बढ़ती गई,लेकिन समाज सेवी अपनी चाल में मस्त रहे। कुछ पत्रकार बंधुओं को यह कार्यशैली समाजसेवी की अच्छी नही लगी तो रेस्टोरेंट से निकलना शुरू कर दिया। तब करीब 10 बजकर 50 मिनट पर समाजसेवी हांफते हुए पहुंचे। प्रेस वार्ता की। फिलहाल अब प्रेस वार्ता का जो दौर चल रहा,उससे सम्मान बढ़ने के बजाय…..जा रहा है,उसके जिम्मेदार कोई और नही,बल्कि उसके जिम्मेदार….खुद… ही है।