जेडी की जाँच में खुली पोल, दोनों नौकरी छोड़कर फरार
वेतन भुगतान प्रक्रिया में लेखाधिकारी की भूमिका संदिग्ध, विभाग में मचा हड़कंप
निर्वाण टाइम्स
सोनभद्र (ब्यूरो)।जनपद में माध्यमिक शिक्षा विभाग में फर्जी तरीके से शिक्षिका पद पर नौकरी हथियाने वाली दो महिला शिक्षिका के जाल साजी का भंडाफोड़ विध्याचल मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक की जांच में होते ही विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। नौकरी के दौरान दोनों शिक्षिकाओं द्वारा लाखों रुपये की सैलरी निकाली जा चुकी हैं।
रायपुर थाना क्षेत्र के सरईगढ़ निवासी धर्मेंद्र कुमार यादव की शिकायत पर विध्याचल मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक कामता राम पाल की जांच में राजकीय बालिका हाईस्कूल-सरईगढ़ में दो शिक्षिकाओं द्वारा फर्जी नौकरी का मामला उजागर हुआ है और लाखों रुपये सैलेरी के रूप में निकाल लिया गया है। मामला सामने आने पर दोनों शिक्षिकाएं फरार हो गई हैं। वहीं विभाग अग्रिम कार्रवाई में जुटा हुआ। जिला विद्यालय निरीक्षक रविशंकर ने बताया कि “सरईगाढ़ गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार यादव ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद लखनऊ को मार्च 2021 में शिकायती पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि राजकीय बालिका हाईस्कूल सरईगाढ़ में तैनात शिक्षिका सुमन सिंह व मंजू सिंह की नियुक्ति फर्जी है। सचिव ने मामले की जांच संयुक्त शिक्षा निदेशक विध्याचल मंडल को सौंपा था। फिर संयुक्त शिक्षा निदेशक ने इसकी आख्या जिला विद्यालय निरीक्षक से मांगी थी।”
डीआइओएस रविशंकर ने बताया कि “जांच में पता चला कि गृह विज्ञान की शिक्षिका आजमगढ़ के रूद्रमनपुर निजामाबाद निवासी मंजू यादव पुत्री वंशराज यादव व सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका वाराणसी के भारद्वाजी टोला आदमपुर निवासी सुमन सिंह पुत्री कल्लू सिंह की नियुक्ति 2016 में भदोही जिले में हुई थी। नियुक्ति के ठीक 72 दिन बाद दिसंबर 2016 में ही दोनों ने अपना तबादला सोनभद्र के राजकीय बालिका हाईस्कूल सरईगाढ़ में करा लिया।”
डीआइओएस के मुताबिक मंजू यादव का तबादला जून 2021 में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बंगवार, बिलरियागंज-आजमगढ़ के लिए हो चुका है। जबकि सुमन सिंह अभी भी राजकीय बालिका हाई स्कूल सरईगढ़ में ही तैनात हैं लेकिन जाँच की भनक लगते ही सुमन भी लापता है। सूत्रों की माने तो विंध्यांचल मंडल के जे डी का कूट रचित हस्ताक्षर बनाकर अपना स्थानांतरण सोनभद्र में करा लिया गया, एवम् नौकरी करती रही।
वहीं रायपुर थाना प्रभारी निरीक्षक प्रणय प्रसून श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से इस संबंध में कोई तहरीर नहीं मिली है।
पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से नौकरी कर रही दोनों शिक्षाकाओं का वेतन कैसे आहरित कर दिया गया। इससे जहाँ माध्यमिक शिक्षा विभाग के सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं, लेखाधिकारी की सबसे अहम भूमिका सवालों के घेरे में दिख रही है।