वर्षो सदियों ने जो बात नहीं सिखाई वह बीते पांच महीने ने बता दिया

विस्वास सब पे करो पर विस्वास किसी पे न करो क्युकी हर गिरने वाला आंसू आपका हो यह भी वहम होता

हर अपना कहने वाला अपना होता यह भी *वहम* है,

आप किसी के लिए कितने भी ईमानदारी से खुद को *समर्पित* करदो पर उसका मन तो *खुदा* भी नहीं जानता..

कहते है गिरने वाले को *तिनके* का सहारा ही बहुत ,पर आज देखा कभी तिनके को देने वाले आज खुद *कतार* में बैठे,

कब आप डूबे और तिनका वह *खींच* ले आपकी नाव डुबाने के लिए..।


*लेखक/पत्रकार विनय तिवारी*