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नो पार्किंग पर ई रिक्शा और टेंपो चालकों का कब्जा

 

शुक्लागंज ( हन्ज़ला सिद्दीकी)। गंगाघाट कोतवाली के सामने की जगह को नो पार्किंग जोन घोषित किया गया है। यहां पर नो पार्किंग जोन का बोर्ड भी लगा हुआ है। और वहां पर पुलिस कर्मी लगे रहते हैं। और उसी स्थान पर होमगार्ड की ड्यूटी भी लगी रहती है। और वहां पर सुरक्षा के लिहाज से कोई ना कोई सुरक्षाकर्मी की तैनाती रहती है। यहां वाहनों की पार्किंग पूरी तरह से वर्जित है। इसके बावजूद ई-रिक्शा चालकों का यहां पर कब्जा रहता है। प्रतिबंधित नो पार्किंग जोन में अपनी गाड़ियां खड़ी कर यह बेखौफ होकर सवारियां भरते जिससे रोजाना जाम लगा रहता है। यह हाल तब है। जब यहां पर कोई न कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद रहता है।
राहगीरों का कहना है कि पोनी रोड तिराहे पर ई-रिक्शे और टेंपो चालकों का बोलबाला है। इनकी मनमानी से बीच सड़क तक वाहनों को खड़ा कर सवारियां भरी जाती हैं। जब तक रिक्शा सवारियों से फुल नहीं होता तब तक यह आगे नहीं बढ़ते हैं। और इस दौरान सोशल डिस्पेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कुछ ई रिक्शा चालक मुंह पर बगैर मार्क्स लगाएं सवारियां ढो रहे हैं। राहगीरों की शिकायत है। कि इसका विरोध करने पर वह लोग मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। अभद्र भाषाओं का प्रयोग भी करते हैं। और आए दिन उच्च अधिकारियों का इस मार्ग से आवागमन भी लगा रहता है। लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा दृष्टिकोण से रिक्शा चालकों के हौसले बुलंद हैं।लेकिन ड्यूटी पर लगे कुछ सुरक्षाकर्मी की लापरवाही की वजह से पोनी रोड तिराहा यह सुबह शाम जाम लगा रहता है। सूत्रों की माने तो यह होमगार्डों की मिलीभगत से प्रतिबंध जोन में बेखौफ सवारी भर लेते हैं। जिससे यातायात अवरुद्ध रहता है। इसी तरह कंचन नगर मोड़, पोनी रोड झंडा चौराहा, मिश्रा कालोनी व गंगापुल रेलवे क्रा¨सग के पास यह लोग बेतरतीब ढंग से वाहन खड़ा करते हैं। आने जाने वाले राहगीरों का कहना है कि यह जाम की समस्या बड़ी विकट है। जिससे कभी-कभी बैटरी रिक्शा चालक व टेंपो चालकों से नोकझोंक भी हो जाती है। इस समस्या को कोतवाली प्रभारी को संज्ञान में लेकर ऐसे बेढंग रिक्शा चालकों व टेंपो चालकों के खिलाफ उचित कार्यवाही करनी चाहिए।

नियमों को ताक पर रखकर फुल आवाज में बजा रहे, रिक्शा चालक साउंड

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ने धर्मस्थलों पर बिना इजाजत के चल रहे लाउडस्पीकर पर रोक लगाने की दिशा में सख्त कदम उठाने का फैसला दिया था। इसके बावजूद लोगों को ध्वनि प्रदूषण से पूरी तरह मुक्ति मिलना सवालों के घेरे में है। वजह यह है । ई रिक्शा चालक व टेंपो चालक सवारियां बैठाकर तेज आवाज में डीजे साउंड में तब्दील करके सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। ना ही इनको कोई रोकने वाला है ना ही कोई टोकने वाला जिससे इनके हौसले बुलंद हैं। जिससे सड़क पर आने जाने वाले राहगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है टेंपो में बैठी सवारियों को भी है। डीजे साउंड की तेज आवाज के कारण उन्हें तकलीफ भी होती है। जिस का विरोध करने आपस मे नोकझोंक भी हो जाती है ।

ध्वनि प्रदूषण

वायु, जल, मृदा व पर्यावरण प्रदूषण की तरह ही ध्वनि प्रदूषण भी सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक एक निर्धारित सीमा से अधिक तेज आवाज से स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। नगर की सड़कों पर फर्राटा भरते टेंपो व बैटरी रिक्शो में बजता म्यूजिक नगर वासियों के लिए सिरदर्द बने है। और इसके अलावा आने जाने वाले राहगीरों का भी सिरदर्द बने हुए हैं। बैटरी रिक्शो व टेंपों में सवारियों के बैठते ही चालक म्यूजिक चालू कर देते हैं। इससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। चेकिंग के दौरान बैटरी रिक्शा व टेंपों चालक बज रहे साउंड को बंद कर लेते हैं। जिससे उसमें लगे म्यूजिक सिस्टम व साउंड को अधिकारी नहीं भाप आते हैं। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों, वृद्ध व बीमार लोगों को होती है।

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