नाग पंचमी की पूजा करने से कालसर्प दोष कम हो जाता है। इस साल 25 जुलाई को नाग पंचमी है।इस दिन नागदेव (सांप) की पूजा की जाती है और दूध पिलाया जाता है
निर्वाण टाइम्स संवाददाता
लखनऊ।सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल नाग पंचमी मनाई जाती है कहा जाता है कि नाग पंचमी की पूजा करने से कालसर्प दोष कम हो जाता है। इस साल 25 जुलाई को नाग पंचमी है। इस दिन नागदेव ( सांप ) की पूजा की जाती है और दूध पिलाया जाता है।जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सावन महीना में भगवान शिव की पूजा की महत्ता है। इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा से बहुत लाभ मिलता है। सावन महीने से सोमवार, शिवरात्रि, रक्षाबंधन के अलावा नाग पंचमी का विशेष महत्व है। वैसे तो हम सभी जानते हैं कि देवों के देव महादेव का सांपों से सीधा नाता है। सांप शिव के गले में आभूषण के तौर पर देखे जाते हैं। यही कारण है कि सावन माह में नाग पंचमी का महत्व बढ़ जाता है।
नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा की जाती है,उसके बाद दूध पिलाया जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। लेकिन अब सवाल उठता है कि सांपों को दूध पिलाना चाहिए? विज्ञान के अनुसार, सांपों को दूध पिलाना ठीक नहीं है क्योंकि दूध से सांपों का ही नुकसान होता है। जबकि धार्मिक मान्यता के अनुसार,सांपों को दूध पिलाया जाता है।
सांपों को दूध पिलाने के पीछे धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार,नाग पंचमी के दिन सांप को दूध पिलाने से नागदंश का खतरा नहीं होता है। घर अन्न-धन के भंडार से भरा रहता है। माना जाता है कि इस दिन सांप को दूध पिलाने से कालसर्प दोष कम होता है।
विज्ञान के अनुसार सांप को दूध पिलाना ठीक नहीं
आस्था के अनुसार,भले ही हम लोग सांप को दूध पिलाते हैं लेकिन विज्ञान के अनुसार,सांप को दूध नहीं पिलाना चाहिए। साइंस के अनुसार,सांप स्तनधारी जीव नहीं है।ऐसे में सांप दूध हजम नहीं कर सकता है। दरअसल,सांप का पाचन तंत्र ऐसा नहीं होता कि वह दूध को पचा सके।विज्ञान के अनुसार, सांप को दूध पिलाना एक तरह से उसे नुकसान पहुंचाने जैसा है।
तो फिर दूध क्यों पीते हैं सांप
नाग पंचमी से लगभग एक-दो महीने पहले सपेरे जंगल से सांपों को पकड़कर लाते हैं और उन्हें भूखे प्यासे छोड़ देते हैं।इस दौरान सपेरे सांपों के विषदंत तक निकाल लेते हैं।कई दिनों तक भूखे रहने के कारण जब उनके सामने दूध रखा जाता है, तो वे इसे पी जाते हैं।बाद में यह दूध उनके लिए नुकसानदेह होता है और उनकी मृत्यु तक हो जाती है।