इलाहाबाद हाई कोर्ट ने छह अप्रैल तक किसी प्रकार की वसूली की कार्रवाई पर लगाई रोक
अमित कुमार की रिपोर्ट….
यूपी में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। इसकी भयावहता को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कई कदम उठाए हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगले दो सप्ताह यानी 6 अप्रैल, 2020 तक वित्तीय संस्थाओं, बैंकों या सरकारी संस्थाओं द्वारा लोगों से किसी प्रकार की वसूली कार्रवाई पर रोक लगा दी है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दो सप्ताह तक कोई भी नीलामी प्रक्रिया नहीं होगी। किसी के भी मकान का ध्वस्तीकरण नहीं होगा। किसी को भी उसके मकान से बेदखल नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन एवं अर्ध न्यायिक संस्था किसी भी अधिकारी को पेशी के लिए तलब नहीं करेंगी। हाई कोर्ट ने यह कदम कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए दिया है।यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने दर्पण साहू की बैंक वसूली के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार व सभी वित्तीय संस्थाओं, अधिकारियों को दो हफ्ते तक वसूली मामले में व्यक्तिगत उत्पीड़न नहीं करने का निर्देश दिया है। किसी को विवश नहीं किया जाएगा कि वह कोर्ट की शरण में आने को बाध्य हो।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए मुकदमों की सुनवाई की व्यवस्था तय किया है। इसके तहत 18 व 19 मार्च को प्रकाशित होने वाली वाद सूची अब 30 व 31 मार्च को सुनी जाएगी, जबकि 20 व 21 मार्च को सुनवाई की तय तारीख वाले मुकदमे एक व तीन अप्रैल को सुने जाएंगे। इसी प्रकार 18 से 21 मार्च तक अतिआवश्यक मुकदमे ही अतिरिक्त वादसूची में प्रकाशित किए जाएंगे। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने 17 मार्च की देर शाम जारी किया है। आने वाले दिनों में इसी के अनुरूप मुकदमों की सुनवाई होगी।कोरोना वायरस संकट को देखते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव की मतगणना पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लाइब्रेरी हॉल में चल रही मतगणना में अधिवक्ताओं की भीड़ एकत्र न करने का निर्देश दिया गया है। वोटों की गिनती के दौरान सिर्फ प्रत्याशी या उनके द्वारा नामित सदस्य को ही रुकने की अनुमति दी गई है। मौजूदा समय एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य पद के प्रत्याशियों के वोटों की गिनती चल रही है। कार्यकारिणी सदस्य के 15 पदों के लिए 87 प्रत्याशी चुनाव लड़े हैं।