जौनपुर : बांग्लादेशियों समेत अन्य जमातियों पर चलेगा हत्या के प्रयास का मुकदमा

हिमांशु श्रीवास्तव
जौनपुर। 14 बांग्लादेशी जमातियों और समेत अन्य थाना क्षेत्रों के जमातियों के खिलाफ धारा 307आईपीसी, महामारी अधिनियम की धारा 3,आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51ख की बढ़ोतरी की गई।धारा 307 के तहत 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा है। महामारी अधिनियम की धारा 3 के तहत सरकार के आदेश की अवहेलना पर धारा 188 आईपीसी के तहत 1 माह से 6 माह तक कारावास या जुर्माना की सजा है।धारा 51ख आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सरकार के निर्देशों का पालन न करने पर 1 से 2 वर्ष तक कारावास की सजा है।
सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के लाल दरवाजा के सामने मुनीर अहमद के मकान से 31 मार्च को 14 बांग्लादेशियों समेत अट्ठारह आरोपी गिरफ्तार हुए थे।उन पर फॉरेनर्स एक्ट व पासपोर्ट एक्ट की भी धाराएं लगाई गई हैं।उसमें 5 वर्ष तक के कारावास की सजा है।इसके अलावा कोतवाली,बदलापुर,शाहगंज आदि थाना क्षेत्र में पकड़े गए जमातियों पर धारा 188 व 269 आईपीसी की एफ आई आर दर्ज की गई जिसमें तुरंत जमानत का प्रावधान है अब इन थाना क्षेत्र के जमातियों के खिलाफ भी धारा 307 व अन्य धाराओं की बढ़ोतरी की गई है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में किए गए आदेश के तहत 7 वर्ष तक की सजा से दंडनीय आरोपी जेल जाने के बाद पैरोल पर छोड़ दिए गए।इसी को देखते हुए तथा जमातियों के सरदार साद पर गैर इरादतन हत्या की धारा की बढ़ोतरी होने के बाद यहां के जमातियों के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा की बढ़ोतरी की गई क्योंकि कई जमाती जो दिल्ली या अन्य जगह की जमात से लौटे हुए थे वह कोरोना से पीड़ित थे तथा छिपे हुए थे और पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए थे उनकी मंशा अन्य लोगों मैं कोरोना का संक्रमण फैलाने की थी जबकि वे जानते थे कि इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। इसके बावजूद भी वे जगह-जगह समूहों में छिपे रहे।सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने के कारण आपदा प्रबंधन अधिनियम व महामारी अधिनियम की धाराएं लगाई गई। हरियाणा में सरकार ने घोषणा किया कि तब्लीगी जमातियों के पकड़े जाने पर उन पर धारा 307 की एफ आई आर दर्ज की जाएगी।गृह मंत्री अनिल विज ने इन्हें समाज का दुश्मन बताया। कहा कि इनके कारण पूरे प्रदेश का जीवन दांव पर नहीं लगाया जा सकता।छिपे हुए जमातियों को बाहर आने का काफी समय दिया गया।इन्हीं की वजह से कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई।उत्तराखंड के डीजीपी अनिल कुमार ने भी स्पष्ट घोषणा किया कि तब्लीगी जिस तरह का अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं।कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी खुद को समाज के लोगों से अलग करने के बजाय छिपने की कोशिश कर रहे हैं यह जघन्य अपराध है।कई बार ऐलान किया गया कि जमाती खुद बाहर आए और उन्हें क्वॉरेंटाइन पर रखा जाए लेकिन वह छिपकर अन्य लोगों का जीवन संकट में डाल रहे हैं उन पर पकड़े जाने पर सीधे हत्या के प्रयास की धारा 307 दर्ज होगी। इसके अलावा जिस इलाके से वे पकड़े जाएंगे अगर उस इलाके में किसी व्यक्ति की कोरोना से मौत होती है तो उसकी सीधी जिम्मेदारी उस तबलीगी जमाती की मानी जाएगी और उस पर धारा 302 आईपीसी के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।जनपद में भी जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक द्वारा क्रमशः 5000 व ₹10,000 रुपए जमातियों की सूचना देने वाले को इनाम के रूप में देने की घोषणा की गई है।इसके बावजूद जमातियों के छिपे होने के कारण उनका पता नहीं चल पा रहा है।उत्तराखंड की तर्ज पर यहां पर भी घोषणा कर देनी चाहिए।पुलिस भी अगर हर मस्जिद व मदरसे की सघन तलाशी और छापेमारी करें तथा अपने स्तर से पकड़े गए जमातियों से पूछताछ करे तो छिपे हुए जमाती पकड़ में आ सकते हैं।वर्तमान में बांग्लादेशियों व अन्य थाना क्षेत्र के जमातियो को जो दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज में शामिल होकर आए थे,सभी को प्रसाद इंस्टिट्यूट में बने अस्थाई जेल में रखा गया है।विवेचना में धारा 307 की बढ़ोतरी होने के बाद अब इन जमातियों को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का लाभ नहीं मिल पाएगा जिसमें 7 वर्ष तक के आरोपियों को पैरोल पर छोड़ने की बात कही गई है। शासन की मंशा स्पष्ट है कि इन्हें जेल से बाहर नहीं निकलने देना है अन्यथा यह अन्य लोगों का जीवन कोरोना से संक्रमित कर संकट में डाल सकते हैं।जिस जमात से ये लौटे हैं वहां के आका साद ने इन लोगों को यही समझाया है कि पूरे भारत में संक्रमण फैलाएं।