बिलग्राम इलाके में क्वारंटीन सेंटर से बिना राशन किट के घरों को भेजे जा रहे प्रवासी श्रमिक

बिलग्राम हरदोई ( अनुराग गुप्ता/ सैफ अली ) । प्रदेश में वापस आने वाले श्रमिकों कोई परेशानी न है उनकों बेहतर रोजगार और पेट भर खाना नसीब हो। इसके लिए प्रदेश की सरकार हर मुमकिन कोशिश कर उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए जद्दोजहद कर रहीं है। लेकिन अधिकतर अधिकारी सरकार की साख को धूमिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं । प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर अधिकारियों को निर्देश दिये हैं । कि जो भी प्रवासी श्रमिक प्रदेश लौट रहे हैं। उन्हें सबसे पहले क्वारंटाइन केंद्र ले जाकर वहां उनकी थर्मल स्क्रीनिंग कराई जाये।. इसके बाद जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें राशन किट उपलब्ध करवाकर ‘होम क्वारंटाइन’ के लिए अपने साधनों से, उन्हें घरों तक पहुंचाये ।.इस राशन किट में 15 दिन का खाद्यान्न दिया जाता है जिसमें दाल, नमक, आटा, मिर्च, मसाले तेल आदि उपलब्ध कराए जाते हैं।
लेकिन मुख्यमंत्री के इस आदेश का पालन अधिकारी करते नजर नहीं आ रहे हैं। उनका मकसद शायद यही है कि कैसे भी सरकार की किरकिरी हो। बिलग्राम तहसील के अन्तर्गत दर्जन भर गांवों के सैकड़ों लोग जो प्रदेश से आकर बिलग्राम बने क्वॉरेंटाइन केंद्रों में क्वारंटीन कराये गये और उन्हें बगैर राशन किट दिये वापस भेज दिया गया। यही नहीं जो लोग अन्य प्रदेशों से आकर पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराई उसके बाद वो अपने गांव के स्कूल आदि में क्वॉरेंटाइन रहे उन्हे अपने घरों से ही मंगा कर भोजन भी करना पड़ा और अंत में उन्हें राशन किट भी नसीब नहीं हुई। बिलग्राम में जब दूसरा कोरोना पॉजिटिव पाया गया था उस समय उसके संपर्क में आये लोग तथा ग्राम रहुला दिवाली में बाहर अन्य आये करीब अड़तीस लोगों को नगर के रामबेटी डिग्री कालेज में क्वॉरेंटाइन कराया गया था लेकिन सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई और उन्हें कोरनटाइन भी करना पड़ा परंतु उनके हाथों में कलम थमा कर रजिस्टर पर साइन तो करा लिये गये परंतु राशन किट संबंधित कर्मचारियों की ओर किसी को मुहैया नहीं कराई गईं। सभी श्रमिकों को खाली हाथ अपने अपने घर लौटना पड़ा आखिर इन श्रमिकों के हक पर कौन है जो डाका डाल रहा है कौन है जो गरीबों की मिलने वाली रकम और राशन से अपना पेट भर रहा है। वही हमारे रिपोर्टर ने एसडीएम बिलग्राम कपिल देव से बात करना चाही, तो उनका फोन ही नहीं उठा, और फिर बिजी बताने लगा। आखिर कैसे सुनते होंगे जनता की फरियाद ? जब पत्रकारों के ही फोन नहीं उठते हैं ।