मुंबई : डॉ योगेश दुबे की याचिका पर सक्रिय हुआ केंद्रीय गृह तथा रेल मंत्रालय

संवाददाता : एसपी पांडेय
मुंबई: वैश्विक महामाणरी का रूप धारण कर चुके कोरोना वॉयरस के प्रादुर्भाव को नियंत्रित करने के लिए देश में पिछले दो महीनों से जारी लॉकडाउन के चलते एक ओर जहां कारोबारी तथा रोजी-रोजगार की सभी गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ी हुई हैं, वहीँ दूसरी ओर देश के विभिन्न शहरों से भुखमरी तथा बेरोजगारी से त्रस्त करोड़ों मजबूर मजदूर तथा कामगार अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। आवागमन का समुचित प्रबंध न होने के कारण लाखों की तादाद में मजदूर, कामगार अपने परिवार के साथ इस भीषण गर्मी में भी पैदल तथा ट्रकों-टैंपुओं में भेड़-बकरियों की तरह यात्रा करने को विवश हैं। इन मजदूरों को संरक्षण देने में उनके नियोक्ता, शासन-प्रशासन, सभी यंत्रणा पूरी तरह से विफल साबित हुई है। मजदूरों, कामगारों को हो रही परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए उत्तर भारतीय महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा रेलवे समिति सदस्य डॉ योगेश दुबे ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायाधीशों की खंडपीठ ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए याचिका-कर्ता डॉ योगेश दुबे को संबंधित राज्य सरकारों से त्वरित संपर्क स्थापित करने की सलाह दी है। वहीं दूसरी ओर उत्तर भारतीय महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ योगेश दुबे ने देश के श्रमिकों की बदहाली को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी दखल देने की गुहार लगाई है, साथ ही आयोग के सदस्य डॉ ज्ञानेश्वर मुले से मुलाकात कर श्रमिकों के भोजन-पानी-प्रवास समेत तमाम समस्याओं की जानकारी दी थी। डॉ मुले की सक्रियता से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को गुरुवार को पत्र भेजकर इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए श्रमिकों की सभी समस्याओं को बिंदुवार दो हफ्ते के भीतर हल कर अपनी रिपोर्ट फाईल करने के निर्देश दिए हैं। आयोग इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगा। डॉ योगेश दुबे ने कहा कि पिछले कई दशकों से मुंबई, ठाणे, पालघर, नई मुंबई में उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखंड, व अन्य प्रांतों के दिहाड़ी श्रमिक लाखों की संख्या में रह रहे है। मुंबई को आर्थिक राजधानी का मुकाम दिलाने में इन श्रमिकों ने दिन-रात अपना खून-पसीना बहाया है। इन मेहनतकशों को मुंबई का शिल्पकार कहें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि श्रमिकों का देश के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है इनकी मेहनत की बदौलत बड़े-बड़े निर्माण कार्य संभव होते हैं। श्रमिकों की समस्याओं को लेकर डॉ योगेश दुबे लगातार रेल विभाग के अधिकारियों से संपर्क बनाए हुए हैं।