किसी की मांग का सिंदूर तो,किसी के बेटे के सर से उठ गया पिता साया

सुख भरपूर गया मांग का सिंदूर गया नन्हे नौनिहालों की लंगोटिया चली गई,बाप की दवाई गई भाई की पढ़ाई गई छोटी-छोटी बेटियों की चोटियां चली गई
एस.पी.तिवारी/प्रशांत पांडेय
लखनऊ।एक तरफ कोरोना तो दूसरी तरफ लगातार हो रही घटनाएं। जहां कोरोना वायरस के चलते पुलिस प्रशासन दिन रात एक होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन पूर्ण तरीके से कर रहा है वहीं दूसरी और साहब एक खबर उत्तर प्रदेश के कानपुर से सामने आयी है।हिंदुस्तान के सबसे बड़े प्रदेश
उत्तरप्रदेश के कानपुर में गुरुवार रात एक बजे दबिश देने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं।इसमें सर्कल ऑफिसर (डीएसपी) और 3 सब इंस्पेक्टर समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।इस खबर ने लोगों की नींद उडा दी साहब इस खबर से उस परिवार का सब कुछ चला गया साहब जिसका बेटा चला गया हो।
इन योद्धाओं को गंवानी पड़ी अपनी जाने
कानपुर बिल्हौर के सीओ देवेंद्र कुमार, शिवराजपुर के थाना प्रभारी महेशचंद्र यादव व सब इंस्पेक्टर नेबू लाल और मंधना के चौकी इंचार्ज अनुप कुमार कॉन्स्टेबल सुल्तान सिंह कॉन्स्टेबल राहुल कॉन्स्टेबल जितेंद्र और कॉन्स्टेबल बबलूकी मौत हो गई है।इसके अलावा बिठूर थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह समेत 7 पुलिसकर्मियों को गोली लगी है।सुबह सुबह जो खबर कानों तक सुनने को व समाचारों में देखने को मिली साहब उस खबर ने दिल को झकझोर कर के रख दिया है।जनपद कानपुर में अपने कर्तव्य पथ पर अपना सर्वस्व निछावर करने वाले 8 रणबांकुरे की निर्मम हत्या कर दी गई।ये वही योद्धा हैं जिन्होंने कोरोना वायरस के घातक वायरस को महामारी न समझते हुए लोगों की सेवा के साथ साथ लोगों को बचाने के लिए चौबिसों घंटे अपने ड्यूटी के साथ सेवाभाव के साथ तैयार दिखे।इन वीरों के प्राण रणनीति बनाकर ले लिये गये।जहां लाकडाउन के दौरान हर कोई कोरोना के खौफ से अपने अपने घरों में सुरक्षित अपने परिवारों के साथ चौबीसों घण्टे रहते हुए उन्हें कोरोना का खौफ रहता है।तो ऐ साहब तो चाहे दिन हो या रात चौबीसों घंटे तैयार रहते थे।फिर इन परिवारों के चिराग क्यों बुझा दिये गये।
साहब उस परिवार से पूछियेगा जिस परिवार का लाल गया उस पिता से पूछिएगा जिसके दिल का टुकड़ा गया हो उस बेटे से पूछिएगा जिसके सर से पिता का साया गया हो उस पत्नी से पूछिएगा जिसकी मांग का सिंदूर गया या फिर उस बहन से पूछिएगा जिसकी राखी का रंग फीका हो गया है।शहीद पुलिसकर्मियों ने जिस साहस व कर्तव्य निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन किया है उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हिंदुस्तान भी इस बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।और ना ही यह बलिदान व्यर्थ जायेगा शहीद हुए सभी पुलिसकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करतें हैं।चार पंक्तियां किसी बड़े रचनाकार की जो आपके मन को झकझोर कर देंगी।सुख भरपूर गया मांग का सिंदूर गया,नन्हे नौनिहालों की लंगोटिया चली गई।बाप की दवाई गई भाई की पढ़ाई गई छोटी-छोटी बेटियों की चोटियां चली गई,ऐसा विस्फोट हुआ जिस्म का पता नहीं पूरे ही जिस्म की बोटियां चली गई आपके लिए तो एक आदमी मरा है साहब किंतु मेरे घर की तो रोटियां चली गई।
*एक दिया उन सभी योद्धाओं के नाम अवश्य जलाएं*
आप सभी पाठकों से मेरा यही अनुरोध है कि आप सभी लोग एक एक दिया मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दें।भारत मां के उन वीर जवानों के लिए अवश्य जलाएं जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना ही अपने प्राणों की आहुति दे दी।हर एक एक व्यक्ति का यही कर्तव्य होना चहिए।अपने वतन से बढ़ा कुछ भी नहीं है।