कोरोना महामारी के चलते अपने गांव वापस आए लेकिन अब परदेश जाने से कतरा रहे

सफीपुर उन्नाव (ब्यूरो रिपोर्ट) ।आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी उस समय रिश्ते दार ने सहारा दिया और दिल्ली बुला लिया जहां थोक बाजार से रेडीमेड कपड़े खरीद कर पटरी पर अस्थायी दुकान लगा ली काम चल निकला और कमाई होने लगी तो घर परिवार के सदस्यों को भी बुला लिया और सभी लोग अपना कारोबार करने महीने में तीस हजार रूपए की आमदनी होने लगी लाकडाउन लगा तो वहां से काम धंधा छोड़ कर गांव लौटना पड़ा अब परिवार गांव में ही पुश्तैनी खेती बाडी कर रहें हैं अब परदेश जाने से कतरा रहे हैं। विकास खंड सफीपुर क्षेत्र के गोपाल पुर गांव निवासी मनोज अवस्थी के घर की माली ठीक नहीं थी परिवार किसी तरह से पुरखों की महज तीन बीघा भूमि पर खेती किसानी कर गुजर बसर कर रहा था परिवार बडा था और आर्थिक तंगी से जूझ रहा था उस समय मनोज के मामा मंशा राम जो दिल्ली में कपड़े की दुकान पर काम कर रहे थे भांजे को दिल्ली बुला लिया और थोक बाजार से रेडीमेड कपड़े खरीद कर दिल्ली की अलग अलग जगह पर लगने वाली बाजारों में पटरी के किनारे अस्थायी दुकान लगवा दी धीरे धीरे काम चल निकला तो ठीक ठाक कमाई होने लगी तो अपने भाइयों सज्जन, श्रीकांत, विपिन, अमित, विवेक, अवनीश, आशीष, नितिन, सुमित व आशू को भी दिल्ली बुला लिया आनंद बिहार में किराये पर मकान लेकर रहने लगे और गांधी नगर दिल्ली की थोक बाजार से रेडीमेड कपड़े खरीद कर अलग अलग बाजारों में पटरी के किनारे अस्थायी दुकान लगा कर व्यापार करने लगे सभी का काम चल निकला और महीने में पच्चीस से तीस हजार रुपये की कमाई होने लगी तो वहां पर वैन खरीद कर उसी पर कपड़े लाद कर दिन भर बेचते और रात को लाद कर वापस लौट आते आमदनी बढी तो पुश्तैनी खेती की देखभाल के लिए कोई नहीं था सभी दिल्ली में थे मार्च माह में लाकडाउन लगा तो काम धंधा ठप्प हो गया धीरे धीरे जमा पूंजी खतम होने लगी तो सब कुछ छोड़कर वापस गांव लौटना पड़ा कारोबार की सहूलियत के लिए खरीदी वैन औने-पौने दाम में बेंच दी अब पुश्तैनी भूमि पर धान की बेल लगा कर फिर से खेती किसानी शुरू कर दी है अवनीश ने बताया कि बहुत नुकसान उठाना पड़ा है जो भविष्य नजर आ रहा था सब चौपट हो गया हमारी शादी मई में होनी थी उसको भी टालना पडा कहा अब परदेश नहीं जायेंगे यही पर रह कर खेती किसानी के साथ कोई छोटा सा रोजगार कर लेंगे लेकिन दिल्ली नहीं जायेंगे