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महाराजा सुहेलदेव के विजय दिवस को पूरे प्रदेश में शौर्य दिवस के रूप में मनाएगी सुभासपा

 

हरदोई ( अनुराग गुप्ता ) । बुधवार को यानी 10 जून को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महाराजा सुहेलदेव राजभर के 986 वां विजय दिवस को पूरे देश में शौर्य दिवस के रूप में मनाएगी । सुभासपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील अर्कवंशी ने कहा कि विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी जिसको मंदिरों का लुटेरा एवं क्रूरता के लिए जाना जाता है, अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए तथा भारत की अकूत संपदा को लूटकर गजनवी ले जाने तथा पूरे देश में जबरन धर्म परिवर्तन कराने के लिए सन 1031 ई० में गजनबी के भांजे सैयद सालार मसूद गाजी ने दिल्ली पर आक्रमण किया । दिल्ली जीतने के बाद मेरठ और कन्नौज के राजाओं को हराकर जबरन इस्लाम कबूल करवा कर बदायूं होते हुए बाराबंकी पहुंचा । जहां हिंदू राजाओं दीनदयाल और तेजपाल ने भीलो की सहायता से वीरता पूर्वक मुकाबला किया ।

दीनदयाल की हत्या हुई और तेजपाल बंदी बनाए गए। क्रमशः इसी तरह सबको हारते हुए अपनी वीरता के मद में चूर सलार मसूद बहराइच की तरफ बढ़ा। जहां उसका मुकाबला सुहेलदेव राजभर से हुआ। मिराते मसूदी के अनुसार 10 जून 1034 को सालार मसूद और महाराजा सुहेलदेव की सेना का मुकाबला हुआ । उनके बीच भयंकर युद्ध हुआ। जिसमें राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर के हाथों आक्रांता सलार मसूद मारा गया । युद्ध इतना भयंकर हुआ था कि 200 सालों तक किसी ने हिंदुस्तान की तरफ देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाई । इसलिए 10 जून 1034 ई० का दिन इतिहास में अमिट है, और अपनी छाप छोड़ गया।

महाराजा सुहेलदेव राजभर वीरता पूर्वक लड़े । सुभासपा नेता श्री अर्कवंशी ने कहा कि इस निर्णायक युद्ध को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इस बार पूरे देश में शौर्य दिवस के रूप में मनाने जा रही है। ऐसे राष्ट्र रक्षक राजा सुहेलदेव राजभर के इतिहास से रूबरू करायेगी जिसको हमारे इतिहास कार शायद बताना भूल गये । उन्होंने आक्रांताओं का इतिहास तो लिखा, लेकिन ऐसे वीर योद्धाओं और राष्ट्रभक्तो को लिखना भूल गए।

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