सपा में पूर्व विधायक संतोष पांडेय का “जलवा” कायम
हवा की तरह आए, तूफान की तरह ले उड़ गए
तय शुदा कार्यक्रम का रंग “गाढ़ा” होने के बजाय हुआ “फीका”
सुलतानपुर(विनोद पाठक)। पार्टी में जलवा पूर्व विधायक संतोष पांडेय का “कायम” है। हवा की तरह जिले में आए और तूफान की तरह लेकर सांसद को उड़ गए। कहाँ गए, इसकी भी किसी नेता को भनक नही लगी। जिसकी वजह से एक तय शुदा कार्यक्रम का रंग “गाढ़ा” होने के बजाय “फीका” पड़ गया। जिसकी पार्टी के अंदर चर्चा जोरों पर चल रही है। अंदर खाने में कई कद्दावर नेता “पांडेजी” की जयजयकार खूब कर रहे हैं, कि जय हो पांडे बाबा की…।
जयेष्ठ माह की दुपहरिया में पूर्व विधायक संतोष पांडेय ने जिले के राजनैतिक पारे में और गर्माहट ला दी। जिसकी किसी भी सपा नेता को भनक नही लग पाई। पहले तो पूर्व विधायक संतोष पांडेय ने सांसद रामभुआल निषाद,पूर्व लोकसभा प्रत्याशी शकील,युवा सपा नेता बृजेश यादव के साथ अचानक लव लशकर से जिला जेल पर पहुंचे।प्रशासनिक अमला चौकन्ना हो गया। मुलाकात करनी थी, मारपीट के मामले में विरूद्ध पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह सोने से। संदेश दिया कि पार्टी पूर्व विधायक के साथ खड़ी। हाल चाल जानने के बाद जेल से सपाई निकले। सांसद को एक पहले से तय शुदा कार्यक्रम में शिरकत करनी थी। मेहमान नेवाजी के लिए “डगर” निहारी जा रही थी। निर्धारित समय जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था, नेता जी के माथे का पसीना भी ख़ूब टपका। इसी बीच लखनऊ से आए नेताजी(पूर्व विधायक) सांसद को आधे रास्ते से ही लेकर कहीं ले उड़ चले। कहाँ गए, किसी को पता नही चल पाया। हालांकि काफी मशक्कत के बाद एक देहाती कहावत चरित्रार्थ हुई
कि खोदा पहाड़ निकली…। मसलन सांसद जी तो नही पहुंचे,बल्कि उनके दूत के रूप में अपना कोई कार्यक्रम में पहुंचा। तब कहीं जाकर नेताजी राहत की सांस ली। पर, जिस मकसद के लिए कार्यक्रम कराया गया था, उसका रंग “गाढ़ा” होने के बजाय “फीका” पड़ गया। तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। जैसी करनी वैसी भरनी। जो हुआ अच्छा हुआ। आगे भी जो होगा,अच्छा ही होगा। ऐसा पार्टी के कार्यकर्ता बयां कर रहे हैं कि समय पर सबक सिखाया भी जाना चाहिए,जिससे की आगे फिर कोई नेता…न कर सके।
पूर्व विधायक के स्टाइल की सपाई दे रहे दुहाई?
पूर्व विधायक संतोष पांडेय के कार्य करने की कार्यशैली पार्टी के अंदर कुछ अलग किस्म की है। पूर्व विधायक के इसी छवि की दुहाई जिले के अधिकांश सपाई देते हैं। कोई मर्द नेता की संज्ञा देता है तो कोई मर्दानगी का। कुछेक को छोड़ कर करीब-करीब सभी सपा नेता इनके “स्टाइल” का कायल है। जो ठान लिया तो ठान लिया। पीछे मुड़कर नही देखना कि परिणाम क्या होगा। उसी का नतीजा है लोकसभा का चुनाव। अपने अडियल रवैया पर अडिग? कंडीडेट बदलेगा तो बदला भी। मन पसंद प्रत्याशी भी लाए। जिताने का जिम्मा भी लिया। कुछ ने सहयोग किया तो कुछ नेताओं ने असहयोग भी किया है। कही पर उम्मीदवार को दिक्कत आई तो छोटे-बड़े दोनों भाइयों ने मिलकर निवारण भी किया। चुनाव के दरमियान प्रत्याशी के हर दिक्कत को आसान भी किया। चुनाव परिणाम जब सुखद का आया तो पूरे प्रदेश में खूब जयजयकार भी हो रही है। अब पूर्व विधायक जिले से लेकर प्रदेश के सपाईयों के जनप्रिय नेता बन गए हैं। फिलहाल पूर्व विधायक ने खुद बयां किया कि छोटे भाई पूर्व विधायक अरुण वर्मा का हर मोड़ पर भरपूर सहयोग मिला है। जिससे हर मुश्किल काम आसान होता चला गया। कुछ चीजें अति गोपनीय होती हैं, जिसे बयां नही किया जा सकता।
सांसद का साफ संदेश असली को मिलेगा सम्मान!
सपा के नवनिर्वाचित सांसद राम भुआल निषाद ईद-उल-अजहा पर्व पर साफ संकेत और संदेश भी देने का कार्य किया कि जो असली सपाई है, उसको सम्मान मिले। सो सांसद ने अमल में भी लिया। चुनाव में जिसे जांचा परखा, खरा उतरा, सांसद का प्रयास रहा, उसके दरवाजे पर जरूर गए। साथ में उनके सबसे विश्वशनीय युवा सपा नेता बृजेश यादव भी संग में रहे। शहर में मिलने के बाद सांसद इसौली विधानसभा क्षेत्र के पूरे अहबल मजरे रवानिया पूरब गांव पहुचे।सांसद राम भुआल निषाद ने पूर्व लोकसभा प्रत्याशी शकील अहमद के घर पहुचकर ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद पेश की। लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मदद करने के लिए पूर्व लोकसभा प्रत्याशी शकील अहमद और उनके समर्थकों का आभार व्यक्त किया।