एक बार फिर रामपुर बबुआन का “लाल” आया चर्चा में!”रंग” बदलने के उस्ताद हैं क्षेत्र के “लाल”

अपनी विधा के माहिर जिलाध्यक्ष कलर को करेंगे “चटक”
जिले की निगाह 17की महारैली पर
सुलतानपुर(विनोद पाठक)। एक बार फिर रामपुर बबुआन का “लाल” चर्चा में आ गया है,”रंग” बदलने की संभावनाओं पर। यह इत्तेफाक नहीं,बल्कि बहुत सोची- समझी रणनीति है। चाल बहुत सटीक चली है। कलर गाढ़ा होगा, तन पर चढ़ेगा भी। ऐलान भी किया जाएगा कि अब यहां का “लाल” भगवा रंग बदलकर पीला रंग धारण कर लिया। इसी कलर के जरिए संजोए सपने में विकास का पंख लगा कर सूबे की बड़ी पंचायत में शिरकत करना चाहते हैं।पर, बड़ा रोडा भी रहेगा है,आसान नहीं रहेगी, डगर। अर्थात “राह में कुछ फूल-कांटे भी हैं”। मसलन टहनी के नुकीले कांटों की छटनी करनी पड़ेगी। राह से निकालना पड़ेगा,इसलिए पियरका रंग भाया है। हर विषम परिस्थिति को बदलने की क्षमता इस संगठन में है,जिसे जिले के मुखिया गम को खुशी में बदल सकते हैं। इस लिए माना जा रहा है कि 17 सितंबर को भाजपा के सहयोगी सत्तारूढ़ दल का झंडा पकड़ सकते हैं,चर्चाओं का बाजार गर्म है, एक नहीं अनेकों तरह की चर्चाएं इसौली विधानसभा क्षेत्र में ही नहीं समूचे जनपद में चल रही हैं।
बताते चलें कि करीब डेढ़ दशक पहले रामपुर बबुआन के “लाल” की जिले में इंट्री समाज सेवा के जरिए हुई। बाद में कांग्रेस पार्टी के हो गए,पार्टी ने बड़ा पद भी दिया। पर,ज्यादा समय तक टिक न सके। कांग्रेस को छोड़ “हाथी” पर सवार हो गए। मसलन बसपा पार्टी ज्वाइन कर लिए। बसपा और समाज सेवा के जरिए जिले में चर्चा में आए,कुछ वर्ष रुके,लेकिन यहां पर पाले मंशा में सफल नहीं हो पाए तो “रंग” बदलने में देरी भी नहीं लगाई। तिकड़मी “लाल” ने ऐसी चाल चली कि “लक्ष्मी” के सामने ताकतवर अधिकांश नतमस्तक हो गए। अर्थात बड़ी आसानी से सपा में प्रवेश ही नहीं किए,बल्कि संजोए सपने में पंख लगे। यह बात दीगर है कि खुद नहीं तो पत्नी ऊषा सिंह को सन् 2015 में जिले की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठा दिए। यानि कि जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में पति कामयाब हो गए। पर, यह स्थाई नहीं था। पद के सामने निष्ठा निष्क्रिय होती गई। सपा सरकार गई तो जुगाड के जरिए फिर “रंग” भगवा धारण कर लिया। जिससे कि कुर्सी पर आंच न आए। कोशिश तो बहुत की गई,लेकिन औंधे मुंह विरोध गिर गया। सपा-भाजपा से एक-एक बार(दो बार लगातार) पत्नी ऊषा को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे,जो जिले के लिए एक मिशाल बनी। खुद भी बल्दीराय के ब्लॉक प्रमुख भाजपा से बने। अब एक बार फिर प्रमुख बल्दीराय चर्चा में आ गए हैं। रंग बदलने को लेकर। माननीय बनने के लिए। भगवा कलर का रंग नेताजी को फीका लगने लगा है कि अब इसके सारे पाले सपने में पंख नहीं लग सकता? इस लिए परित्याग की योजना बना डाली है। अबकी सहारा पीले रंग का लिया जा रहा है, जिससे कि लाठी भी न टूटे और….जाए। इस लिए नया फार्मूला निकाला गया है। तलाशा गया सत्तारूढ़ घटक दल। यहां पर पूरी बात पक्की होने के बाद 17सितंबर की तिथि महारैली के लिए मुकर्रर की गई है। यहीं के मंच से ऐलान किया जायेगा कि अब यहां के “लाल” ने “रंग” बदल लिया है। वह गाढ़ा रंग होगा पीला। इस लिए सुभासपा संगठन का पूरा कुनबा जिले के मुखिया ने लगा दिया है। जिससे की महारैली ऐतिहासिक हो सके। कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिलाध्यक्ष विनीत सिंह,जिला प्रमुख महासचिव संतोष राणा,जिला संगठन मंत्री आदि के साथ इसौली विधानसभा क्षेत्र में पूरी टीम के साथ डेरा डाल इस लिए दिए हैं कि खींची गई रेखा जिले में एक छाप छोड़े,जो अकाट्य हो।