Gorakhpur
गम_अपने मोहलत ही नहीं किससे कैसे इजहार करें,
गम_अपने
मोहलत ही नहीं किससे कैसे इजहार करें,
दुनियां का ग़म अपने ग़म से ज्यादा माना,
मशरूफ रहे अपना ग़म जाहिर ना किया,
हालात बयां करने की कभी आदत न रही,
अपने ग़म का हर दर्द हमें मंजूर सही,
शोहरत दौलत मतलब लालच दुनियां की,
देखी तो बहुत पर अपनी फितरत न रही,
कहना मुश्किल सुनना बेहतर
चाहा भी नहीं कोई मुश्किल आसान करे,
कही लालच की जंजीरों ने कही किस्मत के फकीरों ने
हर कदम कदम पर सब सिखलाया इस दुनिया की तस्वीरों ने,
अपना कहना अब पाप हुआ
सपना दिल का अब साफ हुआ,
मत कहना भूलें बैठे हैं पल पल को लेकर बैठे हैं,
और अंत मे यही कहना चाहूंगा कि-
“किस्मत उसकी भी लिखी गई यारो जो बिना हथेली लिए बैठे हैं”
लेखक/पत्रकार विनय तिवारी