सीतापुर पत्रकार हत्याकांड: पांच महीने बाद मुठभेड़ में ढेर हुए एक-एक लाख के दो इनामी शूटर
पत्रकार हत्याकांड में वांछित एक-एक लाख के दो इनामी शूटर मुठभेड़ में ढेर

निर्वाण टाइम्स
सीतापुर(ब्यूरो)। पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड की जांच में लगी पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम को करीब पांच महीने बाद बड़ी सफलता मिली है। गुरुवार सुबह पिसावां-महोली मार्ग पर हुई मुठभेड़ में दोनों वांछित इनामी शूटर घायल हो गए।
घायल अवस्था में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत की पुष्टि की गई। यह जानकारी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) द्वारा साझा की गई।
गोपनीय सूचना पर बनी दबिश, जवाब में चली गोलियां
सीतापुर के पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल के अनुसार, गुरुवार तड़के पुलिस और एसटीएफ की टीम को इनामी शूटरों की मूवमेंट की गोपनीय सूचना प्राप्त हुई थी। टीमों ने पिसावां-महोली रोड पर चेकिंग शुरू की। इसी दौरान संदिग्ध बाइक सवारों को रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने रुकने के बजाय पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों बदमाश घायल हो गए। पुलिस ने तुरंत घायलों को उपचार हेतु जिला अस्पताल पहुंचाया।
इलाज के दौरान हुई मौत, पीआरओ ने दी जानकारी
पुलिस अधीक्षक के पीआरओ के अनुसार, दोनों घायलों को अस्पताल लाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दोनों शवों को पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया है। अस्पताल प्रशासन से भी संबंधित रिपोर्ट मांगी गई है।
वहीं पुलिस अधीक्षक ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि “घटना में संलिप्त अपराधियों की पहचान पहले से सुनिश्चित थी, जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस टीमें लगातार सक्रिय थीं।”
मारे गए शूटरों की पहचान
मारे गए दोनों अपराधियों की पहचान संजय तिवारी उर्फ अकील खान और राजू तिवारी उर्फ रिजवान के रूप में हुई है। दोनों थाना मिश्रित क्षेत्र के अटवा गांव के निवासी थे। पुलिस के अनुसार, ये शूटर अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी नामों का उपयोग कर लंबे समय से फरार थे। इन पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था, और हत्या, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज थे।
8 मार्च को पत्रकार की गोली मारकर हत्या
उल्लेखनीय है कि पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की 8 मार्च 2025 को उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह दोपहर में हेमपुर ओवरब्रिज के पास बाइक से किसी कार्य से जिला मुख्यालय की ओर जा रहे थे। तभी बदमाशों ने बेहद नजदीक से उन्हें कई गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद जिलेभर में रोष और शोक की लहर दौड़ गई थी। पुलिस ने घटना के 34 दिन बाद मामले का खुलासा करते हुए मुख्य साजिशकर्ता पुजारी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जबकि दोनों शूटर तभी से फरार चल रहे थे।
एसटीएफ और पुलिस की महीनों की निगरानी के बाद सफलता
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दोनों अपराधी लगातार ठिकाने बदल रहे थे और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से बचने की कोशिश कर रहे थे।
इसके बावजूद क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की टीमें लगातार तकनीकी और मानव स्रोतों की मदद से इनकी तलाश में जुटी थीं। आखिरकार गुरुवार सुबह कार्रवाई के दौरान इनकी लोकेशन गुप्त सूचना के आधार पर ट्रेस होने के बाद घेराबंदी की गई, और गोलीबारी के बाद दोनों को निष्क्रिय कर दिया गया।
पोस्टमार्टम के बाद अंतिम निष्कर्ष
दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। आगे की रिपोर्ट आने के बाद पुलिस अंतिम विवरण साझा करेगी। इस कार्रवाई को जिले की पुलिस ने बड़ी कामयाबी बताया है, जिससे पत्रकार की हत्या से जुड़े सभी मुख्य किरदार अब सलाखों के पीछे या कानूनी प्रक्रिया में शामिल हो चुके हैं।