Sultanpur

शौक में गुड़हल के पौध नही,आम का बगीचा लगाया,प्रबंधक के “शौक” का अंदाज अनोखा

देखने और सुनने में छोटा,पर महंगा

प्रबंधक का “ड्रीम प्रोजेक्ट” आम का बगीचा

दृष्टि से सृष्टि अच्छी लगे, यही सपना

सुलतानपुर(ब्यूरो)। गनपत सहाय पीजी कॉलेज के प्रबंधक के प्राकृतिक शौक का अंदाज अनोखा है। इसी शौक पर अमली जामा पहनाने की जो कवायद की है,काबिले तारीफ है।देखने और सुनने में छोटा,पर महंगा है। “शौक में गुड़हल के पौध नही,आम का बगीचा लगाया है, आज तो खूबसूरत कुछ भी नही,कल के उम्मीदों का आसमां सजाया है”। अर्थात महाविद्यालय प्रबंधक का “ड्रीम प्रोजेक्ट” आम का बगीचा है। जिसे धरातल पर साकार कर दिखाया है। जो आज के समय मे जिला का “मॉडल” बगीचा कहें तो अतिशयोक्ति नही होगा। इस आम के बगीचे से जागरूक लोगों और प्रशासन को पौध लगाने और पौध को कैसे संरक्षित किया जाता है, प्रेरणा लेनी चाहिए। गनपत सहाय पीजी कॉलेज के प्रबंधक ओम प्रकाश पांडेय “बजरंगी” विकासखंड दुबेपुर के आरडीह में कई एकड़ जमीन पर फार्म हाउस बना रखा है। प्रबंधक का प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम है। शौक ऐसी पाल रखी है कि दृष्टि से सृष्टि अच्छी लगे। शुद्ध हवा मिले, पर्यावरण भी शुद्ध रहे। पास पड़ोस को भी लाभ मिले। साथ ही साथ मानव के साथ पंछियों को भी स्वाद मिले और भूख मिटे। इसी पर कार्य योजना बनाई, अमली जामा पहनाया। शौक बहुत मंहगा पर, दृढ़ निश्चय के धनी प्रबंधक ने कई एकड़ जमीन पर आम का बगीचा लगवा दिया। कहने के लिए तो आम का बगीचा है। कई किस्म के आम के पौध लगाए गए हैं। पर उस बगीचे में आम के पौध के साथ साथ और भी फलदार पौध लगाए गए हैं, जो बगीचे की सुंदरता और स्वाद में चारचांद लगा रहे हैं। अंजीर,सेब,संतरा,अनार,मुसम्मी,कई प्रकार के नींबू,अमरूद,नाशपत्ती,आंवला,जामुन आदि,आदि के फलदार पौध लगाए गए हैं। जो धीरे-धीरे वृक्ष का रूप ले रहे हैं। जो थोड़े समय मे फल देना शुरू कर देंगे। कुछ वृक्ष फल दे भी रहे हैं। इस बगीचे की नियमित देखभाल के लिए माली लगाया गया है, जो अपने मजदूर साथियों के साथ बगीचे के विकास में सहयोग दे रहे हैं। अब वह दिन दूर नही जब प्रबंधक के साथ सहयोगी, शिक्षक और कर्मचारीगण प्राकृतिक सौंदर्यता को देखने और फलों का स्वाद चखने लिए इस बगीचे में आने को विवश होंगे। यहां पर न सिर्फ फलों का स्वाद मिलेगा, बल्कि प्रकृति की सौंदर्यता को भी देखने का अवसर मिलेगा। इसकी नियमित देखभाल माली तो करता ही है, उसके बाद भी प्रबंधक ओमप्रकाश पांडेय बजरंगी और विद्यालय के प्राचार्य डॉ अंग्रेज सिंह राणा भी नियमित कर रहे हैं।

……एक बैठका हो ऐसा!

प्रबंधक ओम प्रकाश पांडेय “बजरंगी” की प्रकृति के प्रति “शौक” में चारचांद तब और लगता है,जब बगीचे की सुंदरता देखनी हो तो देखने वाले को इधर उधर न भटकना पड़े। इसका भी ख्याल रखा गया है।बगीचे में ही एक आलीशान “बैठका” हो,जो साफ और सुसज्जित भी हो। उसके लिए भी प्रबंधक ने योजना बनाई,और आलीशान मड़ई बनकर तैयार हो गई है। साज-सज्जा का काम चल रहा। बात पैसे की नही होती है, बात शौक की होती है, प्राकृतिक शौक को पूरा करने में दिल को बड़ा करना पड़ता है, तब कोई भी चीज बनकर तैयार होती है।

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