पुचकार-दुलार के बीच “एकता” का संदेश दे गए राहुल के ‘दूत’

सांसद के मासूमियत भाषण में सख्त रहे “अल्फ़ाज़”
सच्चे सिपाही को बिठाउँगा सर आंखों पर
दबाव में नही बदले जाते पार्टी के निर्णय
सुलतानपुर(विनोद पाठक)। गांधी खानदान के अति करीबी राहुल के दूत प्यार-दुलार-पुचकार के बीच कांग्रेसियों को “एकता” का संदेश देकर चले गए। कुछ समझे,कुछ के समझ के बाहर। मासूमियत भाषण में सख्त लफ़्ज भी। चेतावनी के साथ। एकदम नपा-तुला भाषण। पार्टी की मजबूती के लिए। पार्टी कैसे जंग फतह करेगी,गुरु मंत्र भी दिया। सधे-सधाए शब्दों में। ककहरा जो पढ़ाया जमीन मजबूत करने के लिए काबिले तारीफ रहा। उसकी गूंज की धमक जाने के बाद भी बरकरार।
बात हो रही है अमेठी के शानदार सांसाद किशोरी लाल शर्मा के जनपद आगमन की। 15 अप्रैल को पार्टी कार्यालय पर आयोजित समारोह में राहुल गांधी के “दूत”ने शिरकत की। अपने चश्मे से सब कुछ देखा। असली-नकली लड़ाई की हक़ीक़क्त,बारीकी से परखा भी। नाराजगी की उत्तेजना भी देखी। पर, अपने और पार्टी के निर्णय पर एकदम अडिग। स्वागत में खुशी का इजहार भी दिखा,नाराजगी भी देखी गई। भाषण के वक्त। ये इत्तफ़ाक नही था। यह एक प्लानिग के तहत था। पर, मंच पर जब सांसद पहुंचे तो पानी फेर दिया। अपने अनुभव के एक-एक शब्द मंच से साझा किए। आप बीती भी बात मंच से बताई। एकदम ईमानदारी के साथ। नेता और पार्टी के मजबूती की बात जो कार्यकर्ता करता है, तवज्जो उसी को ही मिलती। पार्टी के अंदर नाराजगी भी होती है, गुट बंदी भी। पर, गुस्से का इजहार बाहर नही,पार्टी के अंदर। चौराहे पर पार्टी की बुराई करने वाला कांग्रेसी हो ही नही सकता। सांसद ने जो चुन-चुन के शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे,मंच पर उसके कई निहतार्थ निकल रहे थे और निकाले जा रहे थे। गुस्साए कांग्रेसियों को पटरी पर लाने के लिए उनके अंदर अपनापन भी झलका। प्यार-दुलार के अल्फाज भी प्रयोग किए। एकता के सूत्र में बांधने की पूरी कोशिश। बयां किया कि कांग्रेस बूथ पर दिखनी चाहिए,ताकत अपनी दिखनी है तो गांव में दिखाएं। गुट बाजी में नहीं। निर्णय बार-बार नही लिए जाते। निर्णय हो गया पार्टी का तो मानना ही पड़ेगा, दबाव में बदलाव नही होते। ऐसे वाक्य सांसद साहब ने बोले,वह भी खुलके। ऐसा लगा कि स्वागत का गुस्साए गुट ने जो तरीका अपनाया?वह अच्छा नही लगा। यदि बेहतर होता तो अन्य दल में जाने की बात न होती,न करते। कहीं न कहीं चोट पहुंची। ऐसा लगा कि विरोध हो,पर तरीका गलत नही होना चाहिए। जो आइडिया अपनाई गई,उससे राहुल गांधी के “दूत” खुश नही दिखे। फिलहाल सख्त लहजे में जिले के संगठन मुखिया को आदेश फरमाया कि अपने स्तर से ऐसे नेताओं का और सम्मान करें और सम्मान देने का कार्य करें। सांसद ने भरोसा दिलाया कि हर कांग्रेसी कार्यकर्ता के विश्वास पर खड़ा मिलूंगा। सारी समस्या का समाधान होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सलाह भी दी कि बुजुर्ग कांग्रेस के नेता जो पार्टी की नींव हैं, उनका सम्मान जरूर करें। पार्टी के सच्चे वर्कर शीतला शाहू के देखे गए सपने में पंख लगे,पार्टी कार्यालय को भी ठीक करने की बात भी सांसाद ने की।