आठ सौ साल बाद फिर से राजभर का दबदबा कायम करने का ख्वाब देख रहे राजभर!

इसौली 12वीं शताब्दी तक हुआ करती थी राजभरों की राजधानी
प्रकृति के साथ सोशल मीडिया दे रही चंद्र-सूर्य ग्रहण लगने के संकेत
पूरी सेना के साथ जुटे हैं जिलाध्यक्ष विनीत सिंह
सुलतानपुर(विनोद पाठक)। करीब आठ सौ साल बाद फिर से एक बार इसौली क्षेत्र में राजभर का दबदबा कायम करने की हुंकार सुभासपा भरने जा रही है। इसके नायक बनने जा रहे हैं,पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष/सूबे के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर। यहां से खोए वजूद को वापस लाने की कवायद कर रहे हैं। इसके लिए जो फार्मूला निकला गया है, वह काबिले तारीफ है। पर,पार्टी ने जो चयन किया, रास्ता अपनाया है,यदि उसमें कोई ग्रहण न लगा तो क्षेत्र में मजबूत होने के साथ-साथ पार्टी के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है?ऐसा कयास रणनीतिकार लगा रहे हैं।
बताते चलें कि इसौली विधानसभा क्षेत्र का इसौली गांव करीब आठ सौ साल पहले राजभरों की राजधानी हुआ करती थी,इसी किंवदंतियां आज भी समाज में व्याप्त हैं। यही नहीं पुराने ऐतिहासिक स्रोतों से जो जानकारी मिलती है,उसमें इसौली बारहवीं शताब्दी तक भार/राजभर राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। कई इतिहासकार मानते हैं कि इसौली के शासकों का रिश्ता/संबंध राजा सुहेलदेव से था,इन राजाओं के साथ मिलकर सलार मसूद को हराया था। ब्रिटिश काल के गजेटियर के मुताबिक, इसौली क्षेत्र में 12 वीं शताब्दी तक भार/राजभर शासकों का शासन था। अभी भी इसौली गांव में मौजूद राजभरों के किले के कुछ अवशेष है,जिसे यहां के लोग टीले के नाम से पुकारते हैं। अब एक बार फिर इसौली विधानसभा क्षेत्र जिले में ही नहीं, प्रदेश में चर्चा में आ गया है। इसे क्षेत्र में राजभरों के वंशज ओम प्रकाश राजभर की नजर पड़ गई है,जो सूबे के कैबिनेट मंत्री भी हैं और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं,पार्टी के जरिए दबदबा कायम करना चाहते हैं। भाजपा के लिए चुनौती पूर्ण बनी यह सीट अपने कोटे में लेकर यहां पर झंडा गाड़ने की जुगत में है। जिम्मेदारी अपने अति विश्वशनीय जिलाध्यक्ष विनीत सिंह को सौंपी है। जिनके जरिए भाजपा के एक मजबूत स्तंभ को तोड़कर पीएम के 17 सितंबर के जन्मदिन पर सुभासपा ज्वाइन कराया जा रहा है,बड़ा ढिंढोरा पीट कर। स्थान चुना गया है, वल्लीपुर की बाजार का एक मैदान। तैयारी ऐसी की है कि रिकॉर्ड टूटे और बने। जिससे कि बात आगे चलकर आसानी से बने। इसके लिए पक्का भरोसा दिया गया है। पर, जब कोई ग्रहण न लगे तब। काहे कि प्रकृति के साथ सूर्य और चंद्र ग्रहण पीछा भी करेंगे तो नक्षत्रों की चाल बदल सकती है।अभी से ही ऐसे संकेत सोशल मीडिया मीडिया के जरिए दे दिए हैं। इससे बचने के लिए तरकीब निकालनी पड़ेगी,ओझाई- सिखाई भी करानी पड़ेगी। जरूरत पड़ने पर ग्रह के शांति पाठ भी करने पड़ सकते है। फिलहाल हो कुछ भी इस महारैली के जरिए पियरका गमछा की जिले सहित इसौली में धूम है। जिधर देखो उधर जिलाध्यक्ष विनीत सिंह की सेना के साथ सेनायक दिख रहे हैं। जिलाध्यक्ष की टीम मजबूती के साथ डटी हुई है। महारैली के आयोजक ब्लॉक प्रमुख शिव कुमार के साथ जिलाध्यक्ष विनीत सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष अखिलेश शर्मा,जिला प्रमुख महासचिव संतोष राणा,जिला संगठन मंत्री कंधा से कंधा मिलाकर चल रहे हैं,जिससे की वर्तमान के भविष्य में पाली गई पटकथा की कहानी मजबूती के साथ लिखी जा सके। जिससे कि राजभर की राजधानी तो नहीं बनाई जा सकती है?पर,इतना जरूर है कि मेहनत से सुभासपा का दबदबा कायम किया जा सकता है। इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और उनके पुत्र डॉ अरविंद राजभर जो पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव पीएम के जन्मदिन के अवसर पर मंच से ऐसे तीर चलाएंगे, जो इसौली में पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। ऐसा कयास राजनीति के रणनीति कार लगा रहे हैं। पर,शंकाऔर आशंका का बाजार भी खूब गर्म है,इस पर भी खूब चर्चा चल रही है।