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सुप्रीम ने बिहार की वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख वोटरों की मांगी डिटेल, कहा- हर मतदाता से करेंगे संपर्क

नई दिल्ली | 06 अगस्त 2025: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के मामले में चुनाव आयोग (EC) से विस्तृत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने साफ किया है कि हर हटाए गए मतदाता से संपर्क कर उनकी स्थिति स्पष्ट की जाएगी, ताकि कोई भी पात्र मतदाता वोट देने के अधिकार से वंचित न रहे।

 

 

मामले की पृष्ठभूमि

बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत मतदाता सूची अपडेट की गई थी। इस प्रक्रिया में 65 लाख नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए।

22 लाख मतदाता मृत पाए गए

35 लाख प्रवासी या पता अज्ञात

7 लाख मतदाताओं के नाम डुप्लिकेट

याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया कि:

75% मतदाताओं ने कोई दस्तावेज जमा नहीं किए

स्थानीय BLO की सिफारिश पर ही बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए

इससे लाखों वैध मतदाता लिस्ट से बाहर हो सकते हैं

 

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

मंगलवार को हुई सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा:

> “हम हर प्रभावित मतदाता से संपर्क करेंगे। यदि पात्र मतदाता सूची से हटाए गए हैं, तो कोर्ट तुरंत हस्तक्षेप करेगा।”

 

कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया:

1. 9 अगस्त 2025 तक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें।

2. हटाए गए हर मतदाता की पूरी डिटेल और कारण साझा करें।

3. सूची ADR और राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराएँ।

4. हर हटाए गए मतदाता से व्यक्तिगत संपर्क सुनिश्चित करें।

 

आगे की कार्रवाई

9 अगस्त तक EC का जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होगा।

12‑13 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी।

ADR ने मांग की है कि जांच पूरी होने तक कोई भी मतदाता स्थायी रूप से लिस्ट से न हटाया जाए।

 

क्यों अहम है यह मामला?

बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से गायब रहे, तो चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में यह प्रक्रिया अब अधिक सावधानी और पारदर्शिता के साथ पूरी होने की संभावना है।

निष्कर्ष

यह मामला बताता है कि मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव है, और सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी पात्र नागरिक अपने मताधिकार से वंचित न हो। अब सभी की निगाहें 9 अगस्त को दाखिल होने वाले चुनाव आयोग के हलफनामे और 12‑13 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं।

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