
नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पूर्व विदेश राज्य मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार एम.जे. अकबर ने पाकिस्तान, अमेरिका और चीन के संदर्भ में भारत की विदेश नीति पर एक बेबाक और विश्लेषणात्मक टिप्पणी दी है। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के माध्यम से भारत को अपना स्थायी दुश्मन बना लिया है। वहीं, चीन के साथ भारत के संबंधों में स्थिरता का जिक्र करते हुए उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि ट्रंप का पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर को ‘सम्मान’ देना समझ से परे है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक कूटनीति तेजी से बदल रही है, भारत की भूमिका बढ़ रही है और अमेरिका की दोहरी नीतियां सवालों के घेरे में हैं।
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आतंकवाद से बना स्थायी दुश्मन: पाकिस्तान पर एमजे अकबर की खरी-खरी
एमजे अकबर ने जोर देकर कहा,
“भारत किसी भी देश को स्थायी दुश्मन नहीं मानता। लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपने एकमात्र हथियार के रूप में इस्तेमाल करके भारत को मजबूर किया कि वह उसे शत्रु की तरह देखे
🔴 आंकड़े क्या कहते हैं?
1990 से अब तक पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के कारण 75,000+ लोगों की जान गई है (स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत)।
2023 में जम्मू-कश्मीर में कुल 71 आतंकी घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 28 आम नागरिक मारे गए (स्रोत: MHA Annual Report 2023)।
FATF (Financial Action Task Force) ने 2018-2022 तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा, आतंकवाद को समर्थन देने के कारण।
एमजे अकबर का इशारा पाकिस्तान की रणनीतिक गहराई (Strategic Depth) की उस नीति की ओर था जिसमें आतंकवाद को एक टूल की तरह देखा गया।
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भारत-चीन संबंध: असहमति के बावजूद युद्ध टला
अकबर ने भारत और चीन के संबंधों को ‘गैर-समाधान पर आधारित स्थिरता’ करार दिया। उन्होंने कहा कि सीमा विवादों और अतीत की झड़पों के बावजूद दोनों देशों ने 1988 की शांति-संधि का उल्लंघन नहीं किया।
“भारत-चीन संबंध उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं, लेकिन 1988 की संधि से दोनों देश बंधे हुए हैं। लगभग 40 वर्षों में सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है
🟡 1988 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
वर्ष 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और चीनी राष्ट्रपति डेंग शियाओपिंग के बीच मुलाक़ात हुई थी।
उसी समय सीमा विवाद को “थोड़ा-थोड़ा करके सुलझाने” की रणनीति अपनाई गई।
हालांकि, गलवान संघर्ष (2020) ने अस्थायी रूप से रिश्तों को हिला दिया था, लेकिन अब दोनों देश पर्यटन और व्यापार को पुनर्जीवित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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अमेरिकी नीति पर सवाल: ट्रंप का मुनीर से लगाव क्यों?
एमजे अकबर ने डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान नीति की आलोचना करते हुए कहा:
“यह हैरान करने वाली बात है कि ट्रंप ने पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मुनीर को लुभाने की कोशिश की, जबकि वही व्यक्ति भारत में आतंकी गतिविधियों से पहले भड़काऊ बयान देता है
🔵 ट्रंप और पाकिस्तान: चुनावी समीकरण?
2020 में ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को F-16 रख-रखाव के लिए $450 मिलियन का पैकेज दिया था।
ट्रंप ने 2019 में इमरान खान के साथ बैठकों में ‘मध्यस्थता’ की पेशकश करके भारत की चिंताओं को नजरअंदाज किया था।
अब, 2025 चुनावी रिटर्न के चलते ट्रंप फिर से पाकिस्तान को साधने की रणनीति में लगते हैं।
यह भारत के लिए एक खतरे की घंटी है, क्योंकि इससे Indo-US Strategic Partnership की नींव कमजोर हो सकती है।
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अमेरिका की दोहरी नीति: ‘एक खुद के लिए, एक बाकी दुनिया के लिए’
एमजे अकबर ने अमेरिका की ‘दो कानून’ प्रणाली पर हमला बोला:
“अमेरिका अब दो कानूनों के सिद्धांत का पालन करता है – एक खुद के लिए और एक बाकी दुनिया के लिए। यह स्वीकार्य नहीं है
अकबर का यह बयान अमेरिका की विदेश नीति के पाखंड पर टिप्पणी है – जहां अमेरिका मानवाधिकार और लोकतंत्र की बात करता है, लेकिन सामरिक हितों के चलते तानाशाही या आतंकी सरकारों का साथ भी देता है।
उदाहरण:
सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोग्गी की हत्या के बाद भी अमेरिका ने अरब के साथ सैन्य समझौते जारी रखे।
इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध में अमेरिका का इजराइल समर्थन, जबकि मानवाधिकार संगठनों की आलोचना।
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भारत की नई भूमिका: अजीत डोभाल की रूस यात्रा का महत्व
एमजे अकबर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रूस यात्रा को ‘नई विश्व व्यवस्था’ की ओर इशारा बताया।
“यह एक नया विश्व है, जहां क्षमताएं अलग हो सकती हैं, लेकिन अधिकार सबके समान हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वह नेतृत्व दिखाया जिसकी दुनिया को तलाश थी।”
डोभाल की रूस यात्रा का उद्देश्य BRICS और Eurasian सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करना है।
भारत की बढ़ती भूमिका के संकेत:
G20 2023 की अध्यक्षता में भारत ने Global South की आवाज़ बुलंद की।
QUAD, SCO, BRICS, I2U2 जैसे संगठनों में भारत की सक्रिय भूमिका।
भारत अब अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Multipolar World Order) की अगुवाई कर रहा है।
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निष्कर्ष: भारत को अपने हितों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए
अकबर ने स्पष्ट किया कि भारत को दूसरों की चिंता छोड़कर अपनी विदेश नीति पर ध्यान देना चाहिए। भारत और चीन अपने मतभेदों को एक तरफ रखते हुए आगे बढ़ सकते हैं, बशर्ते अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देश हस्तक्षेप न करें।
आज भारत के लिए प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि वह समानता, संप्रभुता और रणनीतिक स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों पर टिके रहे।
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🧾 निष्कर्षात्मक तथ्य-सारणी (Quick Data Recap):
विषय मुख्य आँकड़े/जानकारी
भारत-पाक संबंध 75,000+ मौतें आतंकवाद से; पाकिस्तान FATF ग्रे लिस्ट में रहा
भारत-चीन संबंध 1988 से कोई युद्ध नहीं; गलवान संघर्ष अपवाद
ट्रंप और पाकिस्तान $450 मिलियन सहायता, मुनीर से सकारात्मक संबंध
अमेरिका की नीति दोहरी; मानवाधिकार बनाम सामरिक हित
अजीत डोभाल की यात्रा रूस यात्रा, नई विश्व व्यवस्था की दिशा में भारत की पहल
भारत की विदेश नीति संतुलन, आत्मनिर्भरता, बहुध्रुवीयता पर आधारित
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🗞️ निष्कर्ष
एमजे अकबर के इस बयान ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को कूटनीति में भावनाओं से नहीं, ठोस रणनीति से काम लेना होगा। न तो पाकिस्तान के उकसावे में आना चाहिए और न ही अमेरिका की नीतिगत विसंगतियों को नज़रअंदाज़ करना चाहिए। चीन के साथ संयम और अमेरिका के साथ संतुलन ही भारत की शक्ति बन सकती है।